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रामलला की मूर्ति की चयन प्रक्रिया पूरी, 5 वर्षीय रूप वाली श्यामवर्ण की मूर्ति चुनी गई

रामलला की मूर्ति की चयन प्रक्रिया पूरी, 5 वर्षीय रूप वाली श्यामवर्ण की मूर्ति चुनी गई

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अयोध्या, 30 दिसम्बर। नव्य भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला की मूर्ति की चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और सर्वसम्मति से चुनी गई पांच वर्षीय रूप वाली श्यामवर्ण मूर्ति की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ आगामी 22 जनवरी के लिए निर्धारित है। रामलला की मूर्ति तय करने के लिए मतदान प्रक्रिया आयोजित करने के लिए शुक्रवार को श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट की बैठक हुई, जिसे अगले महीने भव्य मंदिर के गर्भगृह के अंदर स्थापित किया जाएगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा ने यह जानकारी दी।

बिमलेंद्र मिश्रा ने कहा कि ट्रस्ट की बैठक राम मंदिर के लिए मूर्ति के चयन के संबंध में थी और प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र वह ट्रस्ट है, जिसे अयोध्या के भव्य राम मंदिर के निर्माण और प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मूर्ति चयन प्रक्रिया के मापदंडों के बारे में पूछे जाने पर बिमलेंद्र ने कहा, ‘मूर्ति आपसे बात करती है क्योंकि एक बार जब आप इसे देखते हैं, तो आप इससे मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।’

वहीं श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने कहा, ‘भले ही कई मूर्तियां एक साथ रखी जाएं, लेकिन जो सबसे अच्छी होगी, उस पर नजरें टिक जाएंगी। और संयोग ऐसा बना कि एक मूर्ति पसंद आई और मैंने उसे अपना वोट दे दिया। वोटिंग की व्यवस्था थी और हमने अपनी प्राथमिकताएं दीं। सर्वसम्मति से चुनी गई मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के लिए लाई जाएगी।’

चयनित विग्रह को अरुण योगीराज ने कर्नाटक की श्याम शिला से निर्मित किया है

हालांकि गुप्त मतदान का परिणाम पांच से दस जनवरी के बीच सार्वजनिक किया जाएगा, लेकिन सूत्रों का कहना है कि रामलला के जिस विग्रह को ट्रस्ट के आधिकारिक सदस्यों ने पसंद किया, उसे अरुण योगीराज ने कर्नाटक की श्याम शिला से निर्मित किया है।

दरअसल, रामलला की तीन मूर्तियां निर्मित की गई हैं। अरुण योगीराज, गणेश भट्ट एवं सत्यनारायण पांडेय ने मूर्तियों को गढ़ा है। तीनों मूर्तियों की ऊंचाई 51-51 अंक हैं और इन्हें आठ फीट ऊंचे आधार पर स्थापित किया जाना है। पहले यह बताया गया था कि तीनों मूर्तियों में एक गर्भगृह में स्थापित की जाएगी, लेकिन बाद में यह निर्णय लिया गया कि तीनों विग्रहों को मंदिर में अलग-अलग स्थापित किया जाएगा।

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