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दक्षिण कोरियाई नागरिक आज से उम्र में एक या दो वर्ष छोटे हो गए, पारंपरिक ‘कोरियाई उम्र’ प्रणाली खत्म

दक्षिण कोरियाई नागरिक आज से उम्र में एक या दो वर्ष छोटे हो गए, पारंपरिक ‘कोरियाई उम्र’ प्रणाली खत्म

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सोल (दक्षिण कोरिया), 28 जून। दक्षिण कोरियाई नागरिक बुधवार, 28 जून से एक या दो वर्ष छोटे हो गए हैं क्योंकि एक नये कानून ने देश की दो पारंपरिक आयु-गणना विधियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ संरेखित कर दिया है।

दक्षिण कोरिया के नए कानून ने उस पारंपरिक प्रणाली को खत्म कर दिया है, जिसके तहत दक्षिण कोरियाई लोगों को जन्म के समय एक वर्ष का माना जाता था और गर्भकाल से उनकी उनकी उम्र की गिनती की जाती थी।

इसके साथ ही अब किसी के जन्मदिन की गणना उसके जन्म की तिथि से की जाएगी जबकि पुराने नियम से एक जनवरी को किसी के जन्म की गणना की जाती थी। जन्मतिथि के आधार पर आयु-गणना का नया नियम बुधवार से प्रभावी हो गया।

राष्ट्रपति यून सुक येओल ने पिछले साल चुनाव लड़ते समय इस बदलाव के लिए काफी दबाव बनाया था। उन्होंने कहा, ‘पारंपरिक आयु-गणना विधियों ने अनावश्यक सामाजिक और आर्थिक खर्च पैदा किया।’ नए कानून को इसी वर्ष संसद ने पास किया था।

क्या है माजरा

देखा जाए तो पूरी दुनिया में पैदा होने वाला नवजात शिशु 365 दिन बाद ही एक साल का माना जाता है, लेकिन दक्षिण कोरिया अकेला एक ऐसा देश था, जहां मां के गर्भ से बाहर आते ही नवजात एक साल का माना जाता था। लेकिन इसमें यहां की प्रकृति का कोई हाथ नहीं था। दरअसल यह इस देश की पुरातन परंपरा थी, जो पैदा होते ही उम्र में एक साल का इजाफा कर देती थी।

लेकिन अब यही उम्र प्रणाली खत्म कर दी गई है। अब आज यानी से इस प्रणाली के हमेशा के लिए खत्म कर दिया गया है। अब यहां पैदा होने वाले नवजात एक साल के नहीं माने जाएंगे और न ही हर एक जनवरी को उनकी उम्र में एक साल का इजाफा किया जाएगा। इस महीने से आधिकारिक कागजी काररवाई पर दक्षिण कोरियाई आबादी एक या दो साल छोटे होने के लिए तैयार रहेगी। अब जून, 2023 से आधिकारिक दस्तावेजों पर तथाकथित ‘कोरियाई उम्र’ प्रणाली की मंजूरी नहीं होगी।

क्या कहता है इतिहास

कोरिया में उम्र को इस तरह तय करने की शुरुआत पहली बार कब हुई, इतिहासकारों के पास इसकी ऐसी कोई सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन इन लोगों का मानना है कि मां की कोख में आते ही बच्चे की उम्र की शुरुआत हो जाती है। इसलिए बच्चा पैदा होते ही एक साल का हो जाता है। वहीं, कुछ का मानना है कि यह तरीका एशिया में पहले कभी काफी प्रचलित था।

ऐसे ही एक तरीके का इस्तेमाल पहले चीन, जापान और वियतनाम में भी होता था, लेकिन धीरे-धीरे इन देशों में उम्र तय करने के लिए अंतरराष्ट्रीय पद्धति को अपना लिया गया। वहीं, उत्तर कोरिया ने 1985 में ही इस इंटरनेशनल सिस्टम को अपना लिया था।

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