1. Home
  2. हिन्दी
  3. राजनीति
  4. कांग्रेस के ‘तुष्टिकरण’ से हुआ देश का बंटवारा… हरियाणा बोर्ड की किताब पर बवाल
कांग्रेस के ‘तुष्टिकरण’ से हुआ देश का बंटवारा… हरियाणा बोर्ड की किताब पर बवाल

कांग्रेस के ‘तुष्टिकरण’ से हुआ देश का बंटवारा… हरियाणा बोर्ड की किताब पर बवाल

0
Social Share

नई दिल्ली, 10 मई। हरियाणा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा पेश की गई एक नई कक्षा IX इतिहास की पाठ्यपुस्तक ने देश के विभाजन के लिए कांग्रेस की कथित तुष्टीकरण नीति को जिम्मेदार ठहराया है। बोर्ड की वेबसाइट पर अपलोड की गई किताब में 1947 में देश के विभाजन के पीछे कांग्रेस नेतृत्व की ‘शिथिलता और सत्ता के लालच’ का हवाला दिया गया है।

‘गांधी-जिन्ना वार्ता तुष्टीकरण नीति के उदाहरण’

‘कांग्रेस तुष्टिकरण नीति’ को लेकर किताब के एक स्पेशल सेक्शन में लिखा है, ‘कांग्रेस ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मुस्लिम लीग के साथ सहयोग करना चाहती थी। 1916 का लखनऊ समझौता, 1919 का खिलाफत आंदोलन और 1944 में गांधी-जिन्ना वार्ता तुष्टीकरण नीति के उदाहरण थे। इसने साम्प्रदायिकता को बढ़ावा दिया। मोहम्मद अली जिन्ना को बार-बार लुभाया गया और उन्हें अनुचित महत्व मिलने के कारण उन्होंने हमेशा के लिए कांग्रेस का विरोध करना शुरू कर दिया।’

‘शिक्षा के राजनीतिकरण’ पर विपक्ष ने उठाए सवाल

पुस्तक वर्तमान राजनीतिक संदर्भ में तुष्टीकरण नीति पर बहस का आह्वान करती है। इसमें सवाल किया गया है, ‘अगर दोनों देशों के बीच शांति सुनिश्चित करने के लिए बंटवारा जरूरी था तो आज भी शांति कायम क्यों नहीं हो पाई। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने पाठ्यपुस्तकों में बदलाव को ‘शिक्षा के राजनीतिकरण’ के रूप में खारिज करते हुए कहा, ‘उन्हें यह सिखाना चाहिए था कि कैसे कांग्रेस के संघर्ष ने स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद की।’

बोर्ड के अध्यक्ष प्रो जगबीर सिंह का कहना है कि कांग्रेस के नेता सत्ता संभालने के लिए हमेशा उत्सुक थे और आसानी से विभाजन के लिए सहमत हो गए। उन्होंने कहा, ‘अगर वे जिन्ना के साथ सत्ता साझा करने के लिए सहमत होते, तो देश को विभाजन का सामना नहीं करना पड़ता क्योंकि वह (जिन्ना) जल्द ही मर गए।’

हेडगेवार और सावरकर का भी जिक्र

ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार आरएसएस के संस्थापक केबी हेडगेवार और अभिनव भारत के संस्थापक विनायक दामोदर सावरकर को किताब में शामिल किया गया है। सावरकर के अंडमान जेल में रहने का विशेष उल्लेख है, लेकिन उनकी दया याचिकाओं का कोई जिक्र नहीं है। प्रो जगबीर ने दावा करते हुए कहा, ‘यह उल्लेख करना अधिक महत्वपूर्ण है कि उन्हें दो जन्मों के लिए कारावास की सजा सुनाई गई थी और अत्याचारों का सामना करना पड़ा।’

सिंधु घाटी सभ्यता का उल्लेख ‘सरस्वती सिंधु सभ्यता’ के नाम से

दसवीं कक्षा के इतिहास की किताब में सिंधु घाटी सभ्यता का उल्लेख ‘सरस्वती सिंधु सभ्यता’ के रूप में किया गया है। पुस्तकें लिखने के लिए मुख्य समन्वयक, गवर्नमेंट कॉलेज, बिलासपुर (यमुनानगर) के एसोसिएट प्रोफेसर रमेश कुमार ने स्पष्ट करते हुए कहा, ‘हम सिंधु घाटी सभ्यता को कम नहीं आंक रहे हैं। यह केवल इतना है कि तत्कालीन सरस्वती नदी के किनारे कई नए स्थल उभरे।;

प्रो जगबीर कहते हैं कि इतिहास की किताबों को बदलने की जरूरत थी क्योंकि पहले वाली किताबों में अंग्रेजों और मुगलों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता था। उन्होंने कहा, ‘हमने जोड़ा है कि हरियाणा ने स्वतंत्रता संग्राम में कैसे योगदान दिया …।’

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code