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हिंदुस्तान में नहीं चलेगी तालिबानी सोच : केंद्रीय मंत्री नकवी

हिंदुस्तान में नहीं चलेगी तालिबानी सोच : केंद्रीय मंत्री नकवी

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नई दिल्ली, 18 दिसम्बर। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहां कहा कि महिलाओं की स्वतंत्रता, सम्मान, सशक्तिकरण एवं संवैधानिक समानता पर तालिबानी सोच और सनक हिंदुस्तान में नहीं चलेगी। नकवी ने शनिवार को यहां राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा आयोजित ‘अल्पसंख्यक दिवस’ कार्यक्रम में कहा कि कभी तीन तलाक की कुरीति-कुप्रथा को कानूनी अपराध बनाने का विरोध, कभी मुस्लिम महिलाओं को मेहरम के साथ ही हज यात्रा की बाध्यता खत्म करने पर सवाल और अब महिलाओं की शादी की उम्र के मामलें में संवैधानिक समानता पर बवाल करने वाले लोग संविधान की मूल भावना के पेशेवर विरोधी हैं।

उन्होंने कहा, “अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के राजनैतिक छल” को “समावेशी सशक्तिकरण के राष्ट्रवादी बल” से मोदी सरकार ने ध्वस्त किया है। भारतीय अल्पसंख्यकों की ‘सुरक्षा, समावेशी समृद्धि एवं सम्मान’, ‘संवैधानिक संकल्प’ और भारतीय समाज की ‘सकारात्मक सोच’ का नतीजा है। भारत के बहुसंख्यक समाज की सोच, अपने देश के अल्पसंख्यकों की ‘सुरक्षा और सम्मान के संस्कार एवं संकल्प’ से भरपूर है।

नकवी ने कहा कि भारत ऐसा देश है जहां सभी धर्मों, पंथों, सम्प्रदायों के मानने वालों के साथ-साथ किसी धर्म-पंथ के ना मानने वालों को भी संवैधानिक-सामाजिक सुरक्षा-सम्मान प्राप्त है। आज़ादी के बाद हिंदुस्तान ने पंथ निरपेक्षता अपनाया, जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तानी ने मजहबी कट्टरता अपनाया और वह आज आतंकवाद की फ़ैक्टरी बना हुआ है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले सात वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के संकल्प के साथ सुधार, विकास और समावेशी सशक्तिकरण किया है।

नकवी ने कहा कि मोदी सरकार ने “हुनर हाट” के माध्यम से देश के कोने-कोने से स्वदेशी कारीगरों और शिल्पकारों को एक प्रभावी मंच प्रदान किया है। पिछले छह वर्षों के दौरान सात लाख से अधिक कारीगरों, शिल्पकारों और उनसे जुड़े लोगों को रोजगार और स्व-रोजगार के अवसर प्रदान किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 के बाद छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों- पारसी, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई और मुस्लिम- के पाँच करोड़ से अधिक छात्रों को छात्रवृत्तियाँ प्रदान की। लाभार्थियों में 50 प्रतिशत से अधिक लड़कियां शामिल हैं।

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