दिल्ली हाई कोर्ट की टिप्पणी : बच्चे को अपनी मां के ‘उपनाम’ का इस्तेमाल करने का अधिकार
नई दिल्ली, 6 अगस्त। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि हर बच्चे को अपनी मां के उपनाम (Surname) का इस्तेमाल करने का अधिकार है। अदालत ने शुक्रवार को एक नाबालिग लड़की के पिता की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।
पिता ने नाबालिग बच्ची के साथ अपना नाम जोड़ने की मांग की थी
दरअसल, बच्ची के पिता की ओर से दायर याचिका में अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि दस्तावेजों में उसका नाम उसकी बेटी के उपनाम के रूप में दिखाया जाए, न कि उसकी मां के नाम के रूप में दर्शाया जाए।
एक पिता के पास बेटी का ऐसा कोई स्वामित्व नहीं
हालांकि, न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने ऐसा कोई निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया और कहा कि एक पिता के पास बेटी का स्वामित्व नहीं है कि वह केवल उसके ही उपनाम का उपयोग करे। नाबालिग बेटी अपनी मां के सरनेम से खुश है तो आपको क्या दिक्कत है? अदालत ने कहा कि हर बच्चे को अपनी मां के उपनाम का इस्तेमाल करने का अधिकार है, अगर वह चाहता है।
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उसकी बेटी नाबालिग है और इस तरह के मुद्दों को खुद तय नहीं कर सकती। बच्चे का उपनाम उसकी अलग रह रही पत्नी द्वारा बदल दिया गया था। वकील ने दावा किया कि नाम में बदलाव से बीमा फर्म से बीमा दावों का लाभ उठाना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि पॉलिसी लड़की के नाम पर उसके पिता के उपनाम के साथ ली गई थी।
अदालत ने याचिका की अनुमति देने से इनकार किया और उस व्यक्ति को अपनी बेटी के स्कूल में पिता के रूप में अपना नाम दिखाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका का निबटारा किया।