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बेंगलुरु में 15वीं एयरो-इंडिया अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का हुआ शुभारंभ, रक्षा तकनीकों पर होगा मंथन

बेंगलुरु में 15वीं एयरो-इंडिया अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का हुआ शुभारंभ, रक्षा तकनीकों पर होगा मंथन

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बेंगलुरु, 8 फ़रवरी।  कर्नाटक के बेंगलुरु में 15वीं द्विवार्षिक एयरो-इंडिया अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आज शनिवार को भव्य शुभारंभ हुआ। दो दिवसीय यह कार्यक्रम डीआरडीओ के सेंटर फॉर मिलिट्री एयरवर्थीनेस एंड सर्टिफिकेशन (CEMILAC) और एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (AeSI) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है। गौरतलब है कि यह सेमिनार 10 से 14 फरवरी 2025 तक आयोजित होने वाले एयरो इंडिया 2025 शो के पहले आयोजित किया जा रहा है।

इस वर्ष सेमिनार का विषय “भविष्य की एयरोस्पेस टेक्नोलॉजी : डिज़ाइन सत्यापन की चुनौतियां” रखा गया है। बैठक के दौरान विशेषज्ञ और उद्योग जगत के प्रतिनिधि एयरोस्पेस तकनीकों में नवीनतम विकास, सैन्य विमानों की प्रमाणिकता, और डिजाइन व परीक्षण से जुड़ी चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

इस सेमिनार में कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भाग लिया है जिनमें स्पेन की एयरबस डिफेंस एंड स्पेस, ब्रिटेन की रोल्स-रॉयस, कोलिन्स एयरोस्पेस, जीई एयरोस्पेस, मार्टिन-बेकर, एमबीडीए, इजराइल की राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स और फ्रांस की सफ्रान शामिल हैं। भारतीय कंपनियों में अबयान्ट्रिक्स सॉल्यूशंस, एंसीस इंक, ग्लोबल्स इंक, जेएसआर डायनामिक्स, राफे एमफाइबर और टाकबिट लैब्स जैसी प्रमुख कंपनियां इस आयोजन में हिस्सा ले रही हैं।

सेमिनार में कुल 12 तकनीकी सत्र आयोजित किए जाएंगे जिनमें अत्याधुनिक विमान प्रणालियों का डिजाइन और प्रमाणिकता, एयरवर्थीनेस व प्रमाणन के नवीन दृष्टिकोण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से एविएशन का भविष्य, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेंसिंग टेक्नोलॉजी में नवीनतम इनोवेशन, अगली पीढ़ी के प्रोपल्शन सिस्टम, सैन्य विमानन में उभरते रुझान तथा अंतरिक्ष में मानव मिशनों को आगे बढ़ाने वाले नवाचारों जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी।

सेमिनार के उद्घाटन में मुख्य अतिथि के रूप में इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. वी. नारायणन जबकि डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। इस सेमिनार में डीआरडीओ, रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों, सशस्त्र बलों और निजी उद्योगों सहित एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) से लगभग 1,100 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसके अलावा, भारत और विदेशों के 33 विशेषज्ञ विभिन्न एयरोस्पेस तकनीकों पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।

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