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SEBI ने ठुकराया NSE का प्रस्ताव : शेयर बाजार में ट्रेडिंग का समय नहीं बढ़ेगा, ब्रोकर्स के विरोध के बाद फैसला

SEBI ने ठुकराया NSE का प्रस्ताव : शेयर बाजार में ट्रेडिंग का समय नहीं बढ़ेगा, ब्रोकर्स के विरोध के बाद फैसला

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मुंबई, 7 मई। भारतीय शेयर बाजार को नियंत्रित करने वाले भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने घरेलू शेयर बाजार में कारोबारी घंटों की अवधि (Trading Time) बढ़ाने का नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का प्रस्ताव खारिज कर दिया है। सेबी ने यह फैसला ब्रोकर्स की ओर लगातार किए जा रहे विरोध के बाद लिया है।

पॉजिटिव फीडबैक नहीं मिलने के बाद लिया फैसला

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) आशीष कुमार चौहान ने मंगलवार को एक पोस्ट अर्निंग एनालिटिस्ट कॉल के बाद कहा, ‘फिलहाल, समय बढ़ाने की कोई योजना नहीं है क्योंकि सेबी ने हमारा आवेदन वापस कर दिया है। स्टॉक ब्रोकरों ने वह फीडबैक नहीं दिया है, जो सेबी चाहता था।’

दरअसल, NSE ने कुछ दिन पहले सेबी के सामने एक प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें इंडेक्स फ्यूचर्स में ट्रेडिंग टाइम बढ़ाने की मांग की गई थी। हालांकि ब्रोकर्स इस प्रस्ताव का लगातार विरोध कर रहे थे।

स्टॉक एक्सचेंजों के पास ट्रेडिंग टाइम बढ़ाने का अधिकार

गौरतलब है कि स्टॉक एक्सचेंजों के पास एफएंडओ सेगमेंट में ट्रेडिंग को रात 11.55 बजे तक और कैश सेगमेंट में शाम पांच बजे तक बढ़ाने की शक्ति है, लेकिन इसके लिए सेबी की मंजूरी की जरूरत होती है। दोनों प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग फिलहाल अपराह्न 3.30 बजे खत्म हो रही है। पिछले वर्ष एनएसई ने इंडेक्स फ्यूचर और ऑप्शन (एफएंडओ) में ट्रेड के लिए शाम छह बजे और रात नौ बजे से शाम का एक और सत्र जोड़ने का प्रस्ताव दिया था।

ANMI से मिल गई थी मंजूरी

इससे पहले फरवरी में, एसोसिएशन ऑफ नेशनल एक्सचेंज मेंबर्स ऑफ इंडिया (ANMI) के बोर्ड ने मार्जिन और ट्रेड फाइलों जैसी कुछ ऑपरेशनल परेशानियों को दूर करने के लिए इंडेक्स फ्यूचर्स के लिए ट्रेडिंग टाइम को बढ़ाने की मंजूरी दे दी थी। वहीं, बीएसई ब्रोकर्स फोरम बिजनेस ट्रेडिंग टाइम के लिए आम सहमति बनाने में विफल रहा था।

डेरिवेटिव ट्रेडर्स ने किया था विरोध

वस्तुतः डेरिवेटिव व्यापारियों ने आशंका व्यक्त की थी कि उनके कामकाज का संतुलन खराब हो सकता है। हालांकि कुछ ब्रोकरों ने ट्रेडिंग घंटों को बढ़ाने के लिए खुले तौर पर मंजूरी दे दी थी जबकि अन्य अपने कम बैंडविड्थ को लेकर चिंतित थे। हालांकि लंबे व्यापारिक घंटों का मतलब वॉल्यूम में वृद्धि के कारण एक्सचेंजों के लिए अधिक रेवेन्यू है।

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