Site icon Revoi.in

उत्तराखंड : बकरीद पर हरिद्वार में कुर्बानी पर रोक नहीं होगी, हाई कोर्ट ने पलटा सरकारी आदेश

Social Share

हरिद्वार, 8 जुलाई। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पूरे हरिद्वार जिले को ‘वध-मुक्त क्षेत्र’ घोषित करने वाली राज्य सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी और एक याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने जिले की मंगलौर नगरपालिका के एक बूचड़खाने में 10 जुलाई को ईद-उल-अजहा के मौके पर जानवरों की बलि दिए जाने की अनुमति प्रदान कर दी।

जानवरों की कुर्बानी केवल कानूनी रूप से चल रहे बूचड़खाने में दी जाएगी

चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने निर्देश दिया कि जिले में बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी केवल कानूनी रूप से चल रहे बूचड़खाने में की जाना चाहिए। साथ ही कोर्ट ने नगरपालिका से कहा कि कोर्ट के निर्देश का प्रचार-प्रसार किया जाए। अदालत ने सरकारी आदेश पर सवाल उठाने वाले याचिकाकर्ता को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि जिले में कहीं और कोई कुर्बानी नहीं दी जाए।

राज्य सरकार ने हरिद्वार के शहरी निकायों को बूचड़खाना मुक्त क्षेत्रघोषित किया था

दरअसल, पिछले वर्ष 3 मार्च को राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार ने हरिद्वार जिले में शहरी स्थानीय निकायों (दो नगर निगमों, दो नगर पालिका परिषदों और पांच नगर पंचायतों) को ‘बूचड़खाना मुक्त क्षेत्र’ घोषित किया था। इसके लिए बूचड़खानों को संचालित करने के लिए जारी की गई मंजूरी को भी रद कर दिया था।

कुंभ मेले से पहले नगर विकास विभाग का नोटिफिकेशन आया था। क्षेत्र के भाजपा विधायकों ने पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक पत्र लिखकर मांग की थी कि ‘हरिद्वार जैसे धार्मिक शहर’ में बूचड़खानों की अनुमति नहीं दी जाए।

हरिद्वार के फैसल हुसैन ने दी थी चुनौती

हरिद्वार के रहने वाले फैसल हुसैन ने राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ यह कहते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था कि जानवरों की कुर्बानी इस्लाम में एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है और ईद अल-अजहा के लिए मंगलौर के बूचड़खाने में जानवरों के वध की अनुमति दी जानी चाहिए। इस बूचड़खाने का निर्माण पिछले साल किया गया था, लेकिन जिले में पशु वध पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण वह काम नहीं कर सका था।