1. Home
  2. देश-विदेश
  3. पीएम मोदी की संयुक्‍त राष्‍ट्र को नसीहत – सुधारों की दिशा में आगे नहीं बढ़ा तो अपनी प्रासंगिकता खो देगा
पीएम मोदी की संयुक्‍त राष्‍ट्र को नसीहत – सुधारों की दिशा में आगे नहीं बढ़ा तो अपनी प्रासंगिकता खो देगा

पीएम मोदी की संयुक्‍त राष्‍ट्र को नसीहत – सुधारों की दिशा में आगे नहीं बढ़ा तो अपनी प्रासंगिकता खो देगा

0
Social Share

न्यूयॉर्क, 25 सितम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के 76वें सत्र को संबोधित करते हुए अपेक्षाओं के अनुरूप वैश्विक संस्था को नसीहत दी और कहा कि उसे अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए कहीं ज्यादा जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभानी होगी।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में बड़ी ही खूबसूरती से भारत के महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के शब्‍दों को चुनते हुए संयुक्त राष्ट्र से उसकी कार्यप्रणाली में सुधार लाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि संयुक्त राष्ट्र सुधारों की दिशा में आगे बढ़े अन्यथा वह अपनी प्रासंगिकता गंवा देगा।

चाणक्य की भांति सही समय पर सही निर्णय लेने की जरूरत

प्रधानमंत्री ने चाणक्‍य का उल्‍लेख करते हुए संयुक्‍त राष्‍ट्र को सही समय पर सही निर्णय लेने की नसीहत दी। उन्होंने कहा, “आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था- ‘कालाति क्रमात् काल एव फलम पिबति’। इसका मतलब है कि जब सही समय पर सही काम नहीं किया जाता तो समय ही उस काम की सफलता को समाप्त कर देता है।”

यूएन पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे

पीएम मोदी ने आगाह करते हुए कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपने इफेक्टिवनेस को बढ़ाना होगा। विश्वसनीयता को बढ़ाना होगा। यूएन पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सवालों को हमने पर्यावरण और कोविड के दौरान देखा है। दुनिया के कई हिस्सों में चल रही प्रॉक्सी वॉर, आतंकवाद और अभी अफगानिस्तान के संकट ने इन सवालों को और गहरा कर दिया है।’

संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार की अर्से से मांग करता रहा है भारत

गौरतलब है कि भारत काफी समय से संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार की मांग करता रहा है। अभी इसकी ज्‍यादातर संस्‍थाओं में विकसित देशों का प्रभुत्‍व दिखता है। फिर चाहे संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) हो या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी), सुधारों की जरूरत हर जगह नजर आती है।

मसलन, महासभा जो प्रस्‍ताव पारित करती है, वे बाध्‍यकारी नहीं होते। यह एक बड़ी कमजोरी है। इसी तरह भारत सुरक्षा परिषद के अस्‍थायी और स्‍थायी दोनों ही तरह के सदस्‍यों की संख्‍या में बढ़ोतरी चाहता है। उसका मानना है कि बदलती दुनिया में संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ को मजबूती के साथ सख्‍ती की भी जरूरत है। विकास को बढ़ावा देना पहली शर्त होनी चाहिए।

पाकिस्‍तान को भी दिया कड़ा संदेश

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में पाकिस्‍तान की ओर भी इशारा करते हुए कहा कि जो देश आतंकवाद को पॉलिटिकल टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें यह समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। यह सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए न हो। उन्‍होंने कहा, ‘हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि वहां की नाजुक स्थितियों को कोई देश अपने स्वार्थवश एक टूल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश न करे।’

टैगोर के शब्दों के साथ किया संबोधन का अंत

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का अंत नोबेल पुरस्‍कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के शब्‍दों के साथ किया। उन्‍होंने कहा, “गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था – ‘शुभो कोर्मो-पोथे, धोरो निर्भोयो गान, शोब दुर्बोल सोन्‍शोय, होक ओबोसान।’ इसका मतलब अपने शुभकर्म पथ पर निर्भीक होकर बढ़ो। दुर्बलताओं और शंकाओं को समाप्‍त करो। संयुक्‍त राष्‍ट्र के लिए यह संदेश काफी प्रासंगिक है। हर जिम्‍मेदार मुल्‍क के लिए भी यही बात लागू होती है।” उन्‍होंने विश्‍वास जताया कि सभी का प्रयास दुनिया में शांति और सौहार्द्र बढ़ाएगा। इससे विश्‍व का भला होगा।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published.

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code