1. Home
  2. कारोबार
  3. रूस से रियायती कीमतों पर तेल आयात में वृद्धि मुद्रास्फीति प्रबंधन का एक हिस्सा : निर्मला सीतारमण
रूस से रियायती कीमतों पर तेल आयात में वृद्धि मुद्रास्फीति प्रबंधन का एक हिस्सा : निर्मला सीतारमण

रूस से रियायती कीमतों पर तेल आयात में वृद्धि मुद्रास्फीति प्रबंधन का एक हिस्सा : निर्मला सीतारमण

0
Social Share

नई दिल्ली, 8 सितम्बर। भारत के कुल तेल आयात में रूसी तेल की हिस्सेदारी रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद कुछ महीनों में दो फीसदी से बढ़कर 13 फीसदी हो गई, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि हुई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि रूसी तेल के आयात को छूट पर बढ़ाने का निर्णय लेने के लिए पीएम मोदी की राजनीति को श्रेय दिया जाना चाहिए।

‘रूस से कच्चा तेल प्राप्त करने के लिए पीएम के साहस का सम्मान करती हूं

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा, “मैं रूस से कच्चा तेल प्राप्त करने के लिए पीएम के साहस का सम्मान करती हूं क्योंकि वे छूट देने को तैयार हैं। इस निर्णय से आयात बिलों को कम करने में मदद मिली। हमारे पूरे आयात में रूसी घटक का हिस्सा दो फीसदी था, इसे कुछ महीनों के भीतर 12-13 फीसदी तक बढ़ा दिया गया। वस्तुतः रूस से रियायती कीमतों पर तेल आयात में वृद्धि ‘मुद्रास्फीति प्रबंधन’ का एक हिस्सा है।”

उल्लेखनीय है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण कच्चे तेल की कीमतें इस वर्ष की शुरुआत में रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गईं। अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए। हालांकि, मोदी सरकार ने राष्ट्रीय हितों को सर्वोच्चता देते हुए रूस से तेल आयात बढ़ाने का फैसला किया। वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि मुद्रास्फीति का प्रबंधन केंद्र सरकार की एकमात्र जिम्मेदारी नहीं हो सकती और राज्यों को भी सामान्य मूल्य वृद्धि को नियंत्रण में रखने के लिए कार्य करना चाहिए और सहयोग करना चाहिए।

मुद्रास्फीति पर नियंत्रण को राजकोषीय व मौद्रिक नीतियों को मिलकर काम करना होगा

सीतारमण ने कहा कि मुद्रास्फीति से निबटने को केवल मौद्रिक नीति पर नहीं छोड़ा जा सकता है। मुद्रास्फीति पर काबू पाने के अधिकतर उपाय मौद्रिक नीति से बाहर हैं। मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों को मिलकर काम करना होगा। मुद्रास्फीति प्रबंधन को केवल मौद्रिक नीति पर नहीं छोड़ा जा सकता है। कृषि और एमएसएमई के लिए इनपुट कीमतों को प्रबंधित करना होगा, जो मुद्रास्फीति को खिलाते हैं। मुद्रास्फीति प्रबंधन के समाधान देश-विशिष्ट होने चाहिए।

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code