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विपक्ष का विरोध सौम्य और सार्थक होना चाहिए: उपराष्ट्रपति

विपक्ष का विरोध सौम्य और सार्थक होना चाहिए: उपराष्ट्रपति

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नई दिल्ली, 12 अक्टूबर। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने समावेशी, समतामूलक और सौहार्द पूर्ण समाज की स्थापना का आह्वान करते हुए मंगलवार को कहा कि विपक्ष का विरोध सौम्य, सार्थक और सकारात्मक होना चाहिए।

उपराष्ट्रपति नायडू ने समाजवादी नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी डा. राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर लिखे एक लेख में कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका सिर्फ विरोध तक ही सीमित नहीं बल्कि सरकार का मार्गदर्शन करने की भी है।

विपक्ष का विरोध सौम्य, सार्थक और सकारात्मक होना चाहिए। उन्होंने कहा, ” आजादी के इस 75वें वर्ष में हम सब मिलकर संकल्प लें कि डॉ. राम मनोहर लोहिया के दिखाए हुए आदर्शों पर चलते हुए, एक समावेशी, समतामूलक और सौहार्दपूर्ण समाज के निर्माण को प्रयासरत रहेंगे। ” उपराष्ट्रपति नायडू ने डा. लोहिया के जीवनवृत्त का विस्तृत रूप से उल्लेख करते हुए कहा, “जब हम अपनी आजादी के 75 वर्ष मना रहे है तो हम उन विभूतियों के त्याग को नमन करें, जिन्होंने ये आज़ादी हमें विरासत में दी। ये वो लोग थे जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय संस्कार गढ़े जिन पर हमारा संविधान आधारित है।”

नायडू ने डा. लोहिया के कथनों का जिक्र किया और कहा कि संसद देश की अपेक्षाओं, आशाओं का आईना होती है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में शासन और जनता की भाषा एक ही होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं स्वयं सदन में सदस्यों को उनकी मातृभाषा में बोलने के लिए प्रोत्साहित करता रहा हूं। राज्यसभा में इसके लिए समुचित प्रबंध भी किए गए हैं।”

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