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नारायण मूर्ति फिर बोले – ‘इंफोसिस बनाते समय मैंने हफ्तों 85 से 90 घंटे काम किया था, यह वक्त की बर्बादी नहीं’

नारायण मूर्ति फिर बोले – ‘इंफोसिस बनाते समय मैंने हफ्तों 85 से 90 घंटे काम किया था, यह वक्त की बर्बादी नहीं’

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नई दिल्ली, 9 दिसम्बर। आईटी सेक्टर की अग्रणी कम्पनियों में एक इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने हफ्ते में काम के घंटों को लेकर अपने पुराने बयान को एक बार दोहराते हुए कहा है कि जिस जमाने में उन्होंने इंफोसिस की नींव रखी थी, वह हफ्तों तक 85 से 90 घंटे काम किया करते थे।

भारत में युवाओं को हफ्ते में कम से कम 70 घंटे काम करना चाहिए

वेबसाइट इकोनॉमिक टाइम्स को दिये इंटरव्यू में नारायण मूर्ति ने पूरे आत्मविश्वास के साथ एक बार फिर कहा, ‘भारत में युवाओं को हफ्ते में कम से कम 70 घंटे काम करना चाहिए। मैंने जब इंफोसिस की स्थापना की थी तो उस जमाने में मैं भी घंटों काम किया करता था और यह सिलसिला 1994 तक चला। मैं हफ्ते में 85 से 90 घंटे तक काम किया करता था।’

कोई भी राष्ट्र कड़ी मेहनत से ही समृद्ध हुआ

नारायण मूर्ति ने कहा, ‘कम्पनी के शुरूआती दिनों में मैं सुबह 6.20 बजे ऑफिस में होता था और रात 8.30 बजे ऑफिस छोड़ता था। साथ ही हफ्ते में छह दिन काम करता था। मैं जानता हूं कि जो भी राष्ट्र समृद्ध हुआ, उसने कड़ी मेहनत से ही ऐसा किया है।’

नारायण मूर्ति ने कहा कि उनके माता-पिता ने उन्हें सिखाया था कि गरीबी से बचने का एकमात्र तरीका ‘बहुत-बहुत कड़ी मेहनत’ करना है। हालांकि, उन्होंने कहा कि ऐसा तब होता है, जब व्यक्ति को प्रत्येक कार्य घंटे से उत्पादकता मिलती है। उन्होंने अपने पुराने बयान को दोहराते हुए कहा, ‘मेरे पूरे 40 से अधिक वर्षों के पेशेवर जीवन के दौरान मैंने सप्ताह में 70 घंटे काम किया। जब हमारा सप्ताह छह दिन का था। वर्ष 1994 तक मैं सप्ताह में कम से कम 85 से 90 घंटे काम करता था। यह वक्त की बर्बादी नहीं है।’

चीन व जापान से प्रतिस्पर्धा के लिए कार्य उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत

इससे पहले बीते अक्टूबर में इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पई के साथ बातचीत में नारायण मूर्ति ने कहा था कि यदि चीन और जापान जैसे सबसे तेजी से बढ़ते देशों के साथ भारत प्रतिस्पर्धा करना चाहता है तो उसे कार्य उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा था, ‘द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी और जापान के लोगों ने अपने देश की खातिर ज्यादा से ज्यादा  घंटों तक काम किया। भारत में भी युवा ही देश के मालिक हैं और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।’

इस बीच नारायण मूर्ति के इस बयान का समर्थन करते हुए ओला कम्पनी के सीईओ भाविश अग्रवाल ने कहा, ‘यह समय हमारे लिए कम काम करने का है। हमारे पास मनोरंजन करने का समय नहीं होना चाहिए।’ उद्योगपति सज्जन जिंदल ने भी कहा कि वह नारायण मूर्ति के बयान का तहे दिल से समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि पांच दिवसीय सप्ताह की संस्कृति वह नहीं है, जिसकी भारत जैसे तेजी से विकासशील देश को जरूरत है।’

हालांकि, सोशल मीडिया पर कई लोग नाराणय मूर्ति से सहमत नहीं हैं। फिल्म निर्माता रोनी स्क्रूवाला ने कहा कि उत्पादकता बढ़ाना केवल लंबे समय तक काम करने के बारे में नहीं है।

लोकसभा में भी नारायण मूर्ति की सलाह की चर्चा

वहीं बीते सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र में भी नारायण मूर्ति की सलाह की चर्चा हुई। तीन लोकसभा सांसदों ने मोदी सरकार से पूछा कि क्या वह इंफोसिस के सह-संस्थापक द्वारा दिए गए सुझाव का मूल्यांकन कर रही है। इसके जवाब में केंद्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने सदन में जवाब देते हुए कहा, ‘ऐसा कोई प्रस्ताव भारत सरकार के पास विचाराधीन नहीं है।’

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