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दिल्ली शराब घोटाला केस : मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 17 अप्रैल तक बढ़ी

दिल्ली शराब घोटाला केस : मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 17 अप्रैल तक बढ़ी

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नई दिल्ली, 5 अप्रैल। आम आदमी पार्टी (आप) के दूसरे सबसे बड़े नेता और दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इस क्रम में दिल्ली की राउज ऐवेन्यू अदालत ने सिसोदिया को 17 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कोर्ट में दावा किया कि शराब घोटाले में गिरफ्तार नेता के खिलाफ उसे नए सबूत मिले हैं और केस की जांच अब अहम मोड़ पर है।

ईडी का कोर्ट में दावा : सिसोदिया के खिलाफ नए सबूत मिले

विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल ने आवेदन पर बहस के लिए 12 अप्रैल की तारीख तय की। अदालत में पेश किए जाने के बाद न्यायाधीश ने सिसोदिया की न्यायिक हिरासत भी 17 अप्रैल तक बढ़ा दी। ईडी ने उनकी हिरासत बढ़ाने की मांग की थी। सीबीआई की ओर से दर्ज केस में भी सिसोदिया को 17 अप्रैल तक जेल भेजा गया है।

सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध करते हुए एजेंसी ने कहा कि सिसोदिया के खिलाफ नए सबूत मिले हैं, जिससे शराब घोटाले में उनकी मिलीभगत का पता चलता है। बहस के दौरान ईडी के वकील ने कहा कि एजेंसी उन सबूतों को एकत्रित करने की प्रक्रिया में है, जो सामने आए हैं। संक्षिप्त बहस में वकील ने और समय की मांग की।

सिसोदिया के वकील का दावा – आरोप साबित करने के लिए ईडी के पास सबूत नहीं

दूसरी तरफ सिसोदिया की ओर से पेश हुए वकील ने दावा किया कि ई़डी के पास मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के आरोपों को साबित करने के लिए ईडी के पास सबूत नहीं हैं। वकील ने कहा, ‘कोई आधार (आरोपों को लेकर) नहीं है। उन्होंने हर चीज की जांच कर ली है। मेरे आवास पर रेड भी किया। लेकिन कुछ नहीं मिला। आबकारी नीति को एलजी समेत कई अथॉरिटी ने मंजूरी दी थी। अब आप केवल सिसोदिया पर आरोप लगा रहे हैं। साथ ही, यह (जांच) ईडी के दायरे में नहीं है।’

वकील ने यह भी दलील दी कि कथित घोटाले का एक भी पैसा सिसोदिया या उनके परिवार के बैंक खातों में नहीं आया। उन्होंने जोर देकर कहा कि एजेंसी अस्पष्ट आरोप नहीं लगा सकती है कि जमानत पर रिहा किए जाने पर सिसोदिया सबूतों के साथ छेड़छाड़ करेंगे। वकील ने कहा कि जब सिसोदिया बाहर थे और उनके पास आबकारी विभाग था, तब उन पर गवाहों को प्रभावित करने, उनसे संपर्क करने और उन्हें धमकाने के प्रयास संबंधी दावे कभी नहीं किए गए। अब तो उनके पास कोई विभाग भी नहीं है।’

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