भारतीय वायुसेना को स्पेन से मिला अंतिम C-295 सैन्य विमान, रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा
नई दिल्ली, 2 अगस्त। भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूती देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारतीय राजदूत दिनेश के. पटनायक और भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पेन के सेविले शहर में अंतिम 16वां एयरबस C-295 सैन्य परिवहन विमान प्राप्त किया। यह डेलिवरी तय समय से दो माह पहले हुई, जो भारत की सैन्य तैयारियों और वैश्विक रक्षा साझेदारी को नया आयाम देती है।
मैड्रिड स्थित भारतीय दूतावास ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर जानकारी साझा करते हुए कहा, ‘भारतीय राजदूत दिनेश के पटनायक और भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सेविले स्थित एयरबस डिफेंस एंड स्पेस असेंबली लाइन में 16वां व अंतिम C-295 सैन्य विमान प्राप्त किया। यह डेलिवरी निर्धारित समय से दो माह पूर्व पूरी हुई, जो भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।’
Ambassador @DineshKPatnaik, along with senior officials from Indian Air Force, received the last of the 16 Airbus C-295 military transport aircraft at the Airbus Defence and Space assembly line in Seville. The delivery, two months ahead of schedule, marks an important milestone… pic.twitter.com/kKyLBXUuEi
— India in Spain (@IndiainSpain) August 2, 2025
भारत में निर्मित होंगे C-295 के शेष 40 विमान, स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर जोर
दरअसल, यह डेलिवरी उस बड़े रक्षा सौदे का हिस्सा है, जिसके तहत भारत को कुल 56 C-295 विमानों की आपूर्ति की जानी है। इसमें से पहले 16 विमान एयरबस द्वारा स्पेन में बनाए गए हैं और बाकी 40 विमान भारत में घरेलू उत्पादन के तहत बनाए जाएंगे। अक्टूबर, 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने संयुक्त रूप से गुजरात के वडोदरा स्थित टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) कैंपस में C-295 विमान निर्माण के लिए बने TATA Aircraft Complex का उद्घाटन किया था। उस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा था कि यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ मिशन को गति देगी और भारत-स्पेन संबंधों को नई मजबूती देगी।
वडोदरा में स्थापित यह उत्पादन इकाई भारत में सैन्य विमानों की पहली निजी क्षेत्र की ‘फाइनल असेंबली लाइन’ (Final Assembly Line – FAL) बनी है। इससे स्वदेशी उत्पादन क्षमताएं बढ़ेंगी और भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम होगा। इस परियोजना के माध्यम से भारत न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर रहा है, बल्कि वह विदेशी रक्षा आपूर्ति पर अपनी निर्भरता को भी तेजी से घटा रहा है। अब तक आयात पर निर्भर रहने वाला भारत अब रक्षा उत्पादन का एक उभरता हुआ केंद्र बनता जा रहा है।
