UP में पहचान छिपाकर कथा कहने आये कथावाचक को लोगों ने खदेड़ा, माइक पर मंगवाई माफी
लखनऊ, 13 सितंबर। यूपी के लखीमपुर खीरी के खमरिया कस्बे में पहचान छिपाकर कथा प्रवचन करने आए एक कथा वाचक को ग्रामीणों ने घेर लिया। आरोप है कि कथावाचक मौर्य बिरादरी के हैं। जिन्होंने खुद को ब्राह्मण बताकर व्यास आसन पर बैठकर कथा की। पोल खुली तो कथावाचक काशी के बजाए मैगलगंज क्षेत्र के छिलरिया गांव का निकला। जिसने हंगामा बढ़ता देख मंच से माइक पर लोगों से माफी मांगी।
इसके बाद वह बिना पूर्णाहुति के निकल भागा। लोगों ने ट्रस्ट के जिस मंदिर परिसर में कथा हो रही थी। वहां के ट्रस्टियों और पुजारी पर कार्रवाई की मांग की है। लोगों की सूझबूझ से खमरिया में इटावा जैसे हालात बनने से बच गए। लेकिन दोषियों पर कार्रवाई न होने से गतिरोध अभी बरकरार है।
छह दिन कही कथा, सातवें दिन खुली पोल
जानकारी के मुताबिक, खमरिया थाना क्षेत्र में खमरिया पंडित बाजार स्थित राम जानकी मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान उस समय बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब कथा व्यास के परिचय को लेकर अलग-अलग दावे सामने आए। कथा शुरू होने के पहले कथा वाचक ने स्वयं को पारस मणि तिवारी, काशी निवासी बताया। छह दिन तक कथा सुचारू रूप से चली और सैकड़ों लोगों ने श्रद्धा व सहयोग से हिस्सा लिया।
ब्राह्मण बनकर कथा कह रहे थे पारस मौर्य
सातवें दिन भंडारे के अवसर पर अचानक सोशल मीडिया और ग्रामीणों के माध्यम से जानकारी फैली कि व्यास जी वास्तव में पारस मौर्य हैं जो छलरिया मैगलगंज गांव के हैं। न कि पारस मणि तिवारी। जैसे ही यह खुलासा हुआ क्षेत्र में हलचल मच गई। कई लोगों ने पारस मौर्य से सीधे इस विषय में सवाल किया तो उन्होंने खुद को ब्राह्मण बताते हुए मौर्य होने से इनकार किया। लोगों ने मढ़िया आश्रम के संतों और जानकारों ने स्पष्ट किया कि पारस मौर्य ने पूर्व में भी कई स्थानों पर ब्राह्मण बताकर कथा वाचन किया है।
पारस मौर्य ने सार्वजनिक रूप से ग्रामीणों से माफी मांगी
मामला तूल पकड़ने लगा और ब्राह्मण संगठनों की बात पुलिस तक पहुंचने की नौबत आ गई। दबाव बढ़ता देख पारस मौर्य ने सार्वजनिक रूप से ग्रामीणों से माफी मांगी। उन्होंने माइक पर स्वीकार किया कि भविष्य में वह अपनी जाति छिपाकर कथा वाचन नहीं करेंगे। माफी मांगने के बाद लोगों की नाराजगी तो शांत हो गई। पर लोग कथा के आयोजकों, रामजानकी मंदिर के ट्रस्टियों और पुजारी पर कार्रवाई की मांग करने लगे। लोगों का आरोप है कि मंदिर के ट्रस्टियों,पुजारी और कथा के आयोजकों ने जानबूझकर जनभवनाओं का अपमान किया है। जिन पर प्रभावी कार्रवाई होनी चाहिए। ब्राह्मण संगठनों ने कहा कि यह घटना केवल एक व्यक्ति की गलती नहीं बल्कि उस सोच का प्रतीक है। जो धर्म और आस्था को छल से कमजोर करने पर आमादा है।
