1. Home
  2. हिंदी
  3. राष्ट्रीय
  4. पुरानी पेंशन की मांग के बीच केंद्र सरकार की घोषणा – सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को लेकर बनेगी कमेटी
पुरानी पेंशन की मांग के बीच केंद्र सरकार की घोषणा – सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को लेकर बनेगी कमेटी

पुरानी पेंशन की मांग के बीच केंद्र सरकार की घोषणा – सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को लेकर बनेगी कमेटी

0
Social Share

नई दिल्ली, 24 मार्च। देश में पुरानी पेंशन और नई पेंशन स्कीम को लेकर सरकार और विपक्षी दलों के में जारी खींचतान के बीच शुक्रवार को केंद्र सरकार ने बड़ी घोषणा की और संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन से संबंधित मुद्दों पर गौर करने के लिए समिति गठित करने का प्रस्ताव रख दिया।

गौरतलब है कि गैर भाजपा शासित राज्यों में विपक्ष पेंशन का मुद्दा लगातार उछाल रहा है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन को बड़ा मुद्दा बनाया था और सरकार बनने के बाद इसे लागू करने का एलान भी कर दिया है। अन्य गैर भाजपा राज्यों में भी इसकी कवायद जारी है।

वित्त सचिव के नेतृत्व में कमेटी

समझा जाता है कि चौतरफा दवाब के बीच ही सरकार ने यह कदम उठाया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वित्त सचिव के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी नई पेंशन स्कीम का रिव्यू करेगी। शुक्रवार को ही वित्त मंत्री ने लोकसभा में वित्त विधेयक पेश किया और हंगामे के बीच ही वोटिंग के साथ इसे पास करा लिया गया।

नई और पुरानी पेंशन स्कीम में अंतर

देश में एक जनवरी 2004 से एनपीएस यानी नई पेंशन स्कीम लागू है। दोनों पेंशन के कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हैं। पुरानी पेंशन स्कीम के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है क्योंकि पुरानी स्‍कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है। इसके अलावा पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है।

पुरानी पेंशन योजना में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है। सबसे खास बात यह है कि पुरानी पेंशन स्कीम में हर छह महीने बाद मिलने वाले डीए का प्रावधान है। इसी क्रम में सरकार जब नया वेतन आयोग लागू करती है, तो भी इससे पेंशन में बढ़ोतरी होती है।

एनपीएस में कर्मचारियों की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है

नई पेंशन स्‍कीम (एनपीएस) का निर्धारण कुल जमा राशि और निवेश पर आए रिटर्न के अनुसार होता है। इसमें कर्मचारी का योगदान उसकी बेसिक सैलरी और डीए का 10 फीसदी कर्मचारियों को प्राप्त होता है। इतना ही योगदान राज्य सरकार भी देती है। एक मई 2009 से एनपीएस स्कीम सभी के लिए लागू की गई। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। एनपीएस में कर्मचारियों की सैलरी से 10 फीसदी की कटौती की जाती है। पुरानी पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है।

शेयर बाजार आधारित नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं

पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी जबकि नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है। इसकी वजह यह है कि पुरानी पेंशन स्कीम एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से होता है। वहीं, नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें बाजार की चाल के अनुसार भुगतान किया जाता है।

नई पेंशन स्कीम पर रिटर्न अच्‍छा रहा तो पीएफ और पेंशन की पुरानी स्कीम की तुलना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय अच्छा पैसा मिल सकता है क्योंकि ये शेयर बाजार पर निर्भर रहता है। लेकिन कम रिटर्न की स्थिति में फंड कम भी हो सकता है।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published.

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code