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अमित शाह ने किया ‘काशी-तमिल संगमम्’ का समापन, बोले – यह भारत की दो महान सांस्कृतिक धरोहरों का अद्भुत संगम

अमित शाह ने किया ‘काशी-तमिल संगमम्’ का समापन, बोले – यह भारत की दो महान सांस्कृतिक धरोहरों का अद्भुत संगम

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वाराणसी, 16 दिसम्बर। उत्तर व दक्षिण के रिश्ते की प्रगाढ़ता के लिए गत 17 नवम्बर से चल रहे काशी-तमिल संगमम् का शुक्रवार को बीएचयू के एंफीथिएटर ग्राउंड पर संकल्पों के साथ समापन हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोगों को ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का संदेश दिया।

अमित शाह ने काशी तमिल संगमम के एक माह तक के आयोजन को अलौकिक करार देते हुए कहा कि यह भारत की दो महान सांस्कृतिक धरोहरों का अद्भुत संगम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काशी तमिल संगमम की कल्पना की पूर्णाहुति होने जा रही है। हालांकि ये पूर्णाहुति नहीं है। यह भारतीय संस्कृति के दो उटुंग शिखर, तमिलनाडु की संस्कृति, दर्शन, भाषा, कला, ज्ञान और विश्व में जिसकी मान्यता है, ऐसी काशी की सांस्कृतिक विरासत के मिलन की शुरुआत है।

लंबे समय से हमारे देश की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास नहीं हुआ था

शाह ने कहा, ‘लंबे समय से हमारे देश की संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास नहीं हुआ था। प्रधानमंत्री ने काशी तमिल संगमम के माध्यम से सदियों बाद ये प्रयास किया है। ये प्रयास पूरे देश की भाषाओं और संस्कृतियों को जोड़ने का सफल प्रयास सिद्ध होगा।’

उन्होंने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि भारत अनेक संस्कृतियों, भाषाओं, बोलियों और कलाओं से बना हुआ देश है। मगर, इन सबके बीच में बारीकी से देखें तो उसकी आत्मा एक है और वह भारत की आत्मा है। दुनिया के अन्य देश जिओ पॉलिटिकल आधार बने हुए हैं, लेकिन भारत के साथ ऐसा नहीं है।

लंबे काल खंड में देश की सांस्कृतिक एकता में जहर घोलने का प्रयास किया गया

गृह मंत्री शाह ने कहा, ‘गुलामी के एक लंबे काल खंड में हमारी संस्कृति व विरासत को मलिन करने का प्रयास किया गया और देश की सांस्कृतिक एकता में जहर घोलने का प्रयास किया गया। लेकिन यह आनंद का विषय है कि भारत की आजादी के अमृतकाल में पीएम मोदी ने सांस्कृतिक पुनर्जागरण का काम किया है। अब समय आ गया है, एक भारत श्रेष्ठ भारत की रचना करने का और वो भारत की सांस्कृतिक एकता से ही हो सकता है। उन्होंने काशीवासियों धन्यवाद देते हुए कहा कि तमिलनाडु से आए हुए सभी भाई-बहनों का काशीवासियों ने मन से स्वागत किया है। तमिलनाडु वाले काशी को कभी भूल नहीं सकते।

सीएम योगी बोले – काशी में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना साकार

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वणक्कम काशी व हर-हर महादेव के उद्घोष से लोगो का स्वागत करते हुए कहा कि काशी तमिल संगमम् का शुभारंभ काशी के भूमि से हुआ। काशी-तमिल संगमम् ने काशी में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना को साकार कर दिया है।

सीएम योगी ने इस भव्य आयोजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस आयोजन के लिए काशी को चुना जाना उत्तर प्रदेश के लिए बड़ी बात है। इस आयोजन में जिस तरह से काशीवासियों ने सहभागिता की, वो प्रशंसनीय है।

इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी@20 पुस्तक के तमिल अनुवाद का लोकार्पण किया। स्वागत भाषण केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने किया। इस अवसर पर केंद्रीय पर्यटन मंत्री किशन रेड्डी, मत्स्य पालन-पशुपालन व डेयरी मंत्री डॉ. लोगनाथन मुरुगन व तमिलनाडु के राज्यपाल रवींद्र नारायण रवि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

काशी-तमिल संगमम् में ढाई हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने की भागीदारी

गौरतलब है कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को कायम रखने के लिए आयोजित काशी-तमिल संगमम् का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 19 नवम्बर को उद्घाटन किया था। इसका उद्देश्य तमिलनाडु व काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों को पुनर्जीवित करना रहा। तमिलनाडु के शास्त्रीय व लोक कलाकारों, साहित्यकारों, उद्यमियों, किसानों, धर्मगुरुओं, खिलाड़ियों आदि के छोटे जत्थों में ढाई हजार से अधिक प्रतिनिधियों ने उत्सव में भाग लिया।

तमिलनाडु से आए समूहों ने काशी के अलावा प्रयागराज और अयोध्या का भी भ्रमण किया। सम्मेलन में उत्तर और दक्षिण के लोगों के बीच शिक्षा, कला और संस्कृति, साहित्य, खेल आदि के क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों के अलावा कला, फिल्म, हथकरघा और हस्तशिल्प आदि की प्रदर्शनियों का आयोजन किया गया। यह आयोजन एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) के तहत की गई एक पहल है। शिक्षा के दो केंद्रों आईआईटी मद्रास व बीएचयू ने मिलकर इस कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की और शिक्षा मंत्रालय ने नोडल एजेंसी के रूप में काम किया।

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