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अधीर रंजन चौधरी ने इस्तीफे से किया इनकार, बोले – ‘मैंने बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष पद नहीं छोड़ा’

अधीर रंजन चौधरी ने इस्तीफे से किया इनकार, बोले – ‘मैंने बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष पद नहीं छोड़ा’

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कोलकाता, 21 जून। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने शुक्रवार को देर शाम उन खबरों को खारिज किया, जिनमें कहा गया था कि उन्होंने पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के संविधान के अनुसार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के चुनाव के बाद सभी प्रदेश इकाइयों के अध्यक्ष अस्थायी प्रमुख बन गए हैं।

चौधरी ने कहा, ‘मैं कांग्रेस की प्रदेश इकाई का अस्थायी अध्यक्ष हूं। जिस दिन से मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने हैं, तब से भारत के किसी अन्य राज्य में अध्यक्ष नहीं रहा है। यह आश्चर्यजनक है कि मीडिया ऐसी कहानियां गढ़ रहा है कि मैंने इस्तीफा दे दिया है।’

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे के अनुसार, जब राष्ट्रीय अध्यक्ष बदलता है तो वह ही क्षेत्रीय इकाइयों के नए अध्यक्षों की नियुक्ति करता है। खरगे 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष बने, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने किसी भी राज्य में अध्यक्ष नहीं बदला।

इससे पहले दिन में खबरें आई थीं कि अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। शुक्रवार दोपहर कांग्रेस कमेटी की राज्य इकाई की बैठक के बाद चौधरी ने कथित तौर पर इस्तीफा दिया था। यह बैठक हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल में पार्टी के खराब प्रदर्शन की समीक्षा के लिए बुलाई गई थी। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व की ओर से इस बात की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी।

बीते लोकसभा चुनाव में क्रिकेटर यूसुफ पठान से मात खा गए थे चौधरी

गौरतलब है कि मुर्शिदाबाद जिले के बहरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार के पूर्व सांसद और 17वीं लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता रहे चौधरी को इस बार तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार और भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सदस्य यूसुफ पठान ने हरा दिया था। वहीं तृणमूल के साथ कांग्रेस के संबंधों के मुद्दे पर चौधरी के पार्टी आलाकमान के साथ मतभेद सार्वजनिक हो चुके हैं। तृणमूल कांग्रेस के कट्टर विरोधी रुख के लिए जाने जाने वाले चौधरी हमेशा सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के साथ चुनावी समझौते पर अपने विचारों के बारे में मुखर रहे हैं।

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