विश्वकर्मा जयंती आज : पीएम मोदी ने देशवासियों को दीं शुभकामनाएं
नई दिल्ली, 17 सितम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मनाई जा रही विश्वकर्मा जयंती के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा, ‘सृष्टि के शिल्पकार की विशेष आराधना के इस पावन अवसर पर, नव सृजन में संलग्न सभी कर्मयोगियों को मैं हार्दिक बधाई देता हूं।’
सोशल मीडिया हैंडल ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री ने लिखा, ‘देशभर के अपने परिवारजनों को भगवान विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। सृष्टि के शिल्पकार की विशेष आराधना के इस पावन अवसर पर नवसृजन में जुटे सभी कर्मयोगियों को मेरा हृदय से अभिनंदन। आपकी प्रतिभा और परिश्रम सशक्त, समृद्ध और समर्थ भारतवर्ष के निर्माण में बहुत मूल्यवान है।’
देशभर के अपने परिवारजनों को भगवान विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। सृष्टि के शिल्पकार की विशेष आराधना के इस पावन अवसर पर नवसृजन में जुटे सभी कर्मयोगियों को मेरा हृदय से अभिनंदन। आपकी प्रतिभा और परिश्रम सशक्त, समृद्ध और समर्थ भारतवर्ष के निर्माण में बहुत मूल्यवान है।
— Narendra Modi (@narendramodi) September 17, 2025
यह पर्व भगवान विश्वकर्मा को समर्पित
देशभर में आज विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है। यह पर्व भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें हिन्दू धर्म में वास्तुकार, इंजीनियर और शिल्पकार माना जाता है। इस दिन कारीगर, इंजीनियर, मशीनरी से जुड़े लोग और विभिन्न व्यवसायी अपने औजारों, उपकरणों और कार्यस्थलों की पूजा करते हैं। यह पूजा उनके काम में समृद्धि, सफलता और सुरक्षा की कामना के लिए की जाती है।
कौन हैं भगवान विश्वकर्मा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा वास्तुदेव और अंगिरसी के पुत्र हैं। कुछ ग्रंथों में उन्हें ब्रह्मा जी का मानस पुत्र या प्रजापति भी कहा गया है। उनका जन्म कन्या संक्रांति के दिन हुआ था, इसलिए हर साल 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। उन्हें चार भुजाओं, सुनहरे रंग, स्वर्ण आभूषणों और शिल्प औजारों के साथ चित्रित किया जाता है। कई ग्रंथों में उनके पांच मुख, सद्योजात, वामदेव, अघोर, तत्पुरुष और ईशान, का वर्णन मिलता है।
भगवान विश्वकर्मा महान शिल्पी और वास्तुविद
हिन्दू धर्मग्रंथों में भगवान विश्वकर्मा को महान शिल्पी और वास्तुविद के रूप में सम्मानित किया गया है। उन्होंने सतयुग में स्वर्गलोक, त्रेतायुग में सोने की लंका, द्वापर में द्वारका और कलियुग में हस्तिनापुर व इंद्रप्रस्थ का निर्माण किया। जगन्नाथ पुरी मंदिर की विशाल मूर्तियां और रामायण का पुष्पक विमान भी उनकी कारीगरी का प्रतीक हैं।
उनके द्वारा बनाए गए पांच प्रजापति, मनु, मय, द्विज, शिल्पी और विश्वज्ञ, और तीन पुत्रियां, रिद्धि, सिद्धि और संज्ञा, प्रसिद्ध हैं। रिद्धि-सिद्धि का विवाह भगवान गणेश से और संज्ञा का विवाह सूर्यनारायण से हुआ। उनके वंशजों में यमराज, यमुना, कालिंदी और अश्विनी कुमार शामिल हैं। भगवान विश्वकर्मा ने न केवल नगर और भवनों का निर्माण किया, बल्कि देवताओं के लिए भी दिव्य अस्त्र-शस्त्र बनाए, जिनमें भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, भगवान शिव का त्रिशूल, ब्रह्माजी का ब्रह्मास्त्र, यमराज का कालदंड तथा पाश और इंद्र देव का वज्र शामिल हैं।
कारखानों, कार्यस्थलों और दफ्तरों में होती है विशेष पूजा-अर्चना
इस दिन कारखानों, कार्यस्थलों और दफ्तरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लोग अपने औजारों को साफ करते हैं, हल्दी-चंदन लगाते हैं और भगवान विश्वकर्मा से प्रगति की प्रार्थना करते हैं। यह पर्व न केवल शिल्प कौशल का सम्मान करता है बल्कि मेहनत और रचनात्मकता का उत्सव भी है।
