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बांग्लादेश : यूनुस सरकार ने अगरतला मामले में भारतीय उच्चायुक्त को किया तलब

बांग्लादेश : यूनुस सरकार ने अगरतला मामले में भारतीय उच्चायुक्त को किया तलब

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ढाका, 3 दिसम्बर। बांग्लादेश में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसक घटनाओं के बीच अगरतला स्थित बांग्लादेशी राजनयिक मिशन में तोड़फोड़ के मामले को लेकर मोहम्मद यनुस सरकार ने भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया और अपनी विरोध दर्ज कराया। अंतरिम सरकार में कानूनी मामलों के सलाहकार ने विरोध दर्ज करते हुए कहा कि भारत को समझना चाहिए कि यह शेख हसीना का बांग्लादेश नहीं है।

बांग्लादेशी राजनयिक मिशन में प्रदर्शनकारियों ने की थी तोड़फोड़

दरअसल हिन्दू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय पर हमलों के विरोध में सोमवार को पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा की राजधानी अगरतला स्थित बांग्लादेश के राजनयिक मिशन में हजारों की संख्या में लोगों ने व्यापक प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग में घुस गए और कथित तौर पर तोड़फोड़ की।

विदेश मंत्रालय ने जताया खेद, 7 गिरफ्तार, 7 पुलिसकर्मियों पर एक्शन

हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस घटना को बहुत खेदजनक बताया है। इसी क्रम में बांग्लादेश राजनयिक मिशन की सुरक्षा बढ़ा दी गई है और तोड़फोड़ करने के आरोप में सात लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं और सात पुलिसकर्मियों पर लापरवाही के आरोप में एक्शन लिया जा चुका है।

भारतीय उच्चायुक्त प्रणय बोले – भारत व बांग्लादेश के बीच व्यापक संबंध

फिलहाल बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने मंगलवार को भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब किया। डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापक और बहुआयामी संबंध हैं, जिन्हें किसी एक मुद्दे तक सीमित नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि भारत बांग्लादेश के साथ निरंतर, स्थिर और रचनात्मक संबंध बनाना चाहता है। उन्होंने विदेश मंत्रालय में कार्यवाहक विदेश सचिव रियाज हमीदुल्ला के साथ बैठक के बाद यह टिप्पणी की।

भारत को समझना चाहिए कि यह शेख हसीना का बांग्लादेश नहीं – नजरुल

कानूनी मामलों के सलाहकार आसिफ नजरुल ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘हम समानता और परस्पर सम्मान आधारित मित्रता में यकीन रखते हैं। शेख हसीना सरकार ने चुनावों के बिना सत्ता में बने रहने के लिए भारत समर्थक नीति का पालन किया, लेकिन भारत को समझना चाहिए कि यह शेख हसीना का बांग्लादेश नहीं है।’

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