संभल हिंसा पर राजनीति जारी : मृतकों के परिजनों को सपा देगी 5-5 लाख रुपये की आर्थिक मदद, योगी सरकार से भी की अपील
लखनऊ, 30 नवम्बर। उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण के दौरान भड़की हिंसा पर सियासत जारी है। इस कर्म में समाजवादी पार्टी का कहना है कि वह मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी। वहीं पार्टी ने योगी सरकार से भी मृतकों के परिजनों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराने की अपील की है और कहा है कि पीड़ित परिवारों को सरकार की ओर से 25-25 रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए।
संभल में हुई हिंसा में भाजपा सरकार और प्रशासन की नाकामी से अपनी जान गंवाने वाले मृतकों के परिजनों को समाजवादी पार्टी 5- 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।
यूपी सरकार मृतकों के परिवारों को 25-25 लाख रुपए का मुआवजा दे।— Samajwadi Party (@samajwadiparty) November 30, 2024
इस बीच समाजवादी पार्टी का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज संभल जाना चाह रहा था, लेकिन प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी। संभल में डीएम के आदेश पर धारा-163 लगा दी गई है और कई सपा नेताओं के घरों के बाहर पुलिस के जवान तैनात कर दिए गए हैं। वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर यूपी में प्रशासन के मुद्दे पर नाकाम रहने का आरोप लगाया है। अखिलेश ने एक सोशल मीडिया पोस्ट कर यूपी प्रशासन पर हमला बोला है।
कैराना से सपा सांसद इकरा हसन को पुलिस ने हापुड़ में रोका
संभल जा रहीं कैराना से सांसद इकरा हसन को हापुड़ में पुलिस ने टोल प्लाजा पर रोक लिया। वहां मीडिया से बातचीत में इकरा हसन ने कहा, ‘हमें हकीकत जानने से रोका जा रहा है। हम संभल के पीड़ितों से मिलना चाहते हैं, उनका दुख दर्द जानना चाहते हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन हमें जाने से रोक रहा है और दंगे के पीड़ितों से मिलने नहीं दिया जा रहा है।’
अखिलेश का सवाल – दूसरे दिन का सर्वे क्यों कराया गया?
दूसरी तरफ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संभल की घटना पर सीधा आरोप योगी सरकार और प्रशासन पर लगाया है। उन्होंने कहा कि जब पहले दिन के सर्वे में सबने साथ दे दिया था, सर्वे का काम हो गया था। फिर दूसरे दिन का सर्वे क्यों कराया गया? उन्होंने आरोप लगाया कि दूसरे दिन का सर्वे जान बूझकर माहौल खराब करने के लिए कराया गया। सर्वे करने के लिए जो लोग अंदर गए, उन्होंने जान बूझकर नारे लगाए, ताकि माहौल बिगड़ जाए।
प्रतिबंध लगाना भाजपा सरकार के शासन, प्रशासन और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती, जिन्होंने दंगा-फ़साद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता।
भाजपा जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ… pic.twitter.com/7ouboVnQu4
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 30, 2024
‘संभल की घटना को हम संसद सत्र में उठाने की कोशिश करेंगे‘
अखिलेश ने आरोप लगाया कि प्रशासन के अधिकारी इसमें मिले हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा। सपा के प्रतिनिधिमंडल को संभल जाने से रोकने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘ये सरकार डरी हुई है। संभल की घटना को हम संसद सत्र में उठाने की कोशिश करेंगे।’
सपा नेताओं के सामने पुलिस की ‘दीवार‘
इस बीच सपा नेता और यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडे अपनी गाड़ी में संभल जाने के लिए बैठे थे, लेकिन उनकी गाड़ी को रोकने के लिए पुलिस ने दोनों तरफ पुलिस की गाड़ियां लगा कर सड़क को बंद कर दिया। प्रशासन के अधिकारी माता प्रसाद पांडे को समझाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन नेता प्रतिपक्ष अपने घर से निकलने की कोशिश में लगे थे। माता प्रसाद पांडे ने कहा कि निषेधाज्ञा संभल में है तो उन्हें लखनऊ में क्यों रोका जा रहा है? उन्होंने प्रशासन पर डरने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि तीन दिन पहले डीजीपी ने उन्हें संभल न जाने को कहा था, लेकिन अब तीन दिन बाद फिर उन्हें रोका जा रहा है।
संभल में बाहरी लोगों के प्रवेश पर 10 दिसम्बर तक रोक
इस बीच संभल में 24 नवम्बर को हुई हिंसा के बाद यहां शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन ने बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर 10 दिसम्बर तक रोक लगा दी है।
जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेसीया ने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘कोई भी बाहरी व्यक्ति, कोई सामाजिक संगठन या जनप्रतिनिधि जनपद की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना 10 दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा।’ यह कदम इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि सपा का एक प्रतिनिधिमंडल हिंसा के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए शनिवार को संभल का दौरा करने वाला था।
संभल हिंसा में 4 लोगों की हुई मौत
उल्लेखनीय है कि संभल में अदालत के आदेश पर गत 19 नवम्बर को जामा मस्जिद के पहली बार किए गए सर्वेक्षण के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है। अदालत ने यह आदेश जिस याचिका पर दिया, उसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है वहां पहले कभी हरिहर मंदिर था। पिछले 24 नवम्बर को मस्जिद का दोबारा सर्वेक्षण कराए जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी तथा 25 अन्य जख्मी हो गए थे।