1. Home
  2. हिंदी
  3. राष्ट्रीय
  4. सोमैया के खिलाफ आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए धन जुटाने का मामला: अदालत ने आगे जांच की जरूरत बताई
सोमैया के खिलाफ आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए धन जुटाने का मामला: अदालत ने आगे जांच की जरूरत बताई

सोमैया के खिलाफ आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए धन जुटाने का मामला: अदालत ने आगे जांच की जरूरत बताई

0
Social Share

मुंबई, 13 अगस्त। मुंबई की एक अदालत ने भाजपा नेता किरीट सोमैया और उनके बेटे के खिलाफ धोखाधड़ी के एक मामले में ‘क्लोजर रिपोर्ट’ का निपटारा करते हुए कहा कि पुलिस ने इस बात की जांच नहीं की है कि नौसेना के विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ को बचाने के लिए उनके द्वारा एकत्र किए गए धन का क्या किया गया। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एस्प्लेनेड अदालत) एस पी शिंदे ने पिछले सप्ताह जारी एक आदेश में पुलिस को निर्देश दिया था कि मामले में आगे और जांच की जाए तथा रिपोर्ट जमा की जाए।

भारतीय नौसेना के मजेस्टिक श्रेणी के विमान वाहक पोत ‘आईएनएस विक्रांत’ को 1961 में नौसेना में शामिल किया गया था। उसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पूर्वी पाकिस्तान की नौसैनिक नाकेबंदी को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसे 1997 में सेवामुक्त कर दिया गया था। जनवरी 2014 में जहाज को एक ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से बेचा गया।

एक पूर्व सैनिक की शिकायत पर अप्रैल 2022 में यहां ट्रांबे थाने में सोमैया और उनके बेटे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पूर्व सैनिक ने दावा किया था कि उन्होंने इस अभियान के लिए 2013 में 2,000 रुपये का चंदा दिया था। शिकायती का आरोप था कि सोमैया ने जहाज को बचाने के अभियान में 57 करोड़ रुपये से ज्यादा जमा किए थे।

उन्होंने दावा किया कि इस राशि को महाराष्ट्र के राज्यपाल के सचिव कार्यालय में जमा करने के बजाय उन्होंने इसका गबन किया। मामला बाद में मुंबई पुलिस के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को स्थानांतरित कर दिया गया। मामले के जांच अधिकारी ने अदालत के समक्ष ‘सी’ समरी (क्लोजर रिपोर्ट) प्रस्तुत करते हुए कहा था कि जांच करने के बाद यह प्रकाश में आया कि ‘अपराध न तो सत्य और न ही असत्य की श्रेणी में आता है’।
अदालत ने विमान वाहक पोत को बचाने के लिए चंदा देने वाले गवाहों के बयानों का अध्ययन करने के बाद कहा कि ऐसा लगता है कि गवाहों ने दान किया है और आरोपियों ने इस अभियान से राशि जमा की है। मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘‘लेकिन जांच अधिकारी ने कोई भी दस्तावेज रिकॉर्ड में नहीं रखा है जो दिखाता हो कि आरोपी ने राशि को या तो महाराष्ट्र के राज्यपाल कार्यालय में या राज्य सरकार को जमा कर दिया है। इसलिए इस मामले में जांच अधिकारी ने यह जांच नहीं की है कि आरोपियों ने जमा किए गए पैसे का क्या किया।’’

अदालत ने यह भी कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, आरोपियों ने अन्य कुछ स्थानों पर भी अभियान चलाए हैं। उसने कहा कि लेकिन जांच अधिकारी ने दूसरे स्थानों से गवाहों के बयान दर्ज करने की जहमत नहीं उठाई जिन्होंने भी चंदा देने का दावा किया है। मजिस्ट्रेट ने कहा, ‘‘मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि मामले में आगे और जांच जरूरी है।’’ इसके बाद अदालत ने जांच अधिकारी को आगे जांच करने तथा रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया।

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published.

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code