ममता बनर्जी का बयान तुष्टीकरण की राजनीति से प्रेरित : केशव प्रसाद मौर्य
प्रयागराज, 23 मई। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पश्चिम बंगाल में 2010 के बाद जारी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाण पत्र को रद करने के कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान को तुष्टीकरण की राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने को बनर्जी के खिलाफ काररवाई की मांग की।
यूपी के डिप्टी सीेएम ने ममता के खिलाफ काररवाई की मांग की
केशव मौर्य ने यहां भाजपा कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘जिस प्रकार से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उच्च न्यायालय के ओबीसी प्रमाण पत्र रद करने के फैसले को नहीं मानने की बात की है, वह संविधान के विरुद्ध है और यह बयान तुष्टीकरण की राजनीति से प्रेरित है। मैं ममता बनर्जी के बयान की निंदा करता हूं और इस बयान के लिए उनके खिलाफ काररवाई की भी मांग करता हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने वोट बैंक की घटिया राजनीति करने के लिए वर्ष 2010 से 2024 तक बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या को ओबीसी प्रमाण पत्र दिए, जिसे कलकत्ता उच्च न्यायालय ने रद कर दिया है। मैं न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करता हूं।’’
केशव मौर्य ने कहा, ‘‘पिछले दिनों कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने वोटबैंक की राजनीति के तहत ओबीसी का आरक्षण छीन कर मुस्लिमों को देने का काम किया है, वह भी असंवैधानिक है और बाबा साहब के संविधान की भावना के विपरीत है। यही मानसिकता तृणमूल कांग्रेस की भी है।”
उन्होंने कहा, “कल कांग्रेस के शहजादे राहुल गांधी ने स्वीकार भी किया है उनकी दादी इंदिरा गांधी, उनके पिता राजीव गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी ने पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के साथ अन्याय किया है। राहुल गांधी ने यह सच देर से स्वीकार किया, जिसे बहुत पहले स्वीकार करना चाहिए था। गलती स्वीकार करने से इनके पाप धुलने वाले नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामाजिक न्याय के देवता के रूप में जाने जाने वाले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का काम किया।”
उन्होंने कहा, “सरकारी अनुदान से संचालित अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ओबीसी, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति को शिक्षा में आरक्षण देने से वंचित रखने का काम कांग्रेस की सरकार ने किया। जामिया मिलिया इस्लामिया में भी इसी तरह का व्यवहार किया गया। जिस प्रकार से कांग्रेस, सपा, तृणमूल कांग्रेस का इतिहास है, उनकी सोच है, वह ओबीसी, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के विरुद्ध है।’