कन्हैया कुमार का तंज – भगवान राम का नाम लेकर नाथूराम के एजेंडे को बढ़ा रही आगे भाजपा
नई दिल्ली, 6 अप्रैल। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने लोकसभा चुनाव से पहले आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी भगवान राम का नाम लेकर नाथूराम के सांप्रदायिक और विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने की ‘राजनीतिक चाल’ चल रही है, जो देश के लिए खतरनाक है।
‘राम जी की लहर होना बुरी बात नहीं, यदि नाथूराम की लहर होती तो बुरा होता‘
कन्हैया कुमार ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में यह भी दावा किया कि भाजपा हिन्दू धर्म की महानता को कम करने का प्रयास कर रही है और कहा कि राम की संकल्पना में किसी के लिए नफरत का कोई स्थान नहीं है। यह पूछे जाने पर कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से देश में राम मंदिर लहर की बात हो रही है और इससे भाजपा को फायदा हो सकता है, तो इस मुद्दे से कांग्रेस कैसे ‘डील’ करेगी? इस पर कन्हैया कुमार ने कहा कि कांग्रेस को इससे डील करने की क्या जरूरत है। अगर राम जी की लहर है तो यह बुरी बात नहीं है। बुरा तब होता, जब नाथूराम (महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोड़से) की लहर होती। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि भाजपा जो प्रचार कर रही है, उसमें उसकी कोई भूमिका नहीं है। राम जी त्रेता युग में हुए थे, भाजपा 1980 में बनी है।’
‘भाजपा तो राम को मानने वाले लोगों को ठगने के काम में लगी है‘
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया ने कहा, ‘भाजपा तो इस काम में लगी है कि राम को मानने वाले लोगों को कैसे ठगा जाए, इसलिए नाम तो राम का लेते हैं, लेकिन काम नाथूराम के करते हैं। यह जो खेल है, इससे भाजपा को फायदा होता है। यह देश की संस्कृति, इतिहास और आने वाली पीढ़ी के खिलाफ है। यदि हम राम जी की संकल्पना को देखें तो वह (हर जगह) रचे-बसे हैं। लोगों के नाम और स्थानों के नाम उनके नाम पर हैं। कुछ धर्मों में है कि कोई एक स्थान महत्वपूर्ण होता है, लेकिन हिन्दू धर्म में सभी स्थान और सभी भगवान महत्वपूर्ण हैं। राम जी भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, शिव जी भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, विष्णु जी भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं और ब्रह्मा जी भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। इसलिए हिन्दू धर्म दुनिया के दूसरे धर्मों से अलग है।’
परिवारवाद से ज्यादा खतरनाक है ‘व्यक्तिवाद’
कांग्रेस पर परिवारवादी पार्टी होने के आरोप से जुड़े सवाल पर कन्हैया कुमार ने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘व्यक्तिवाद’ परिवारवाद से ज्यादा खतरनाक है। उन्होंने कहा कि यदि परिवारवाद जैसी कोई चीज है तो सभी परिवारवादी हैं। उनका कहना था कि यह एक जान बूझकर किया जाने वाल प्रयास है कि किसी की पहचान को नीचा दिखाया जाए। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के संदर्भ में परिवारवाद की बात होती है तो मैं यह पूछता हूं कि यह सिर्फ गांधी-नेहरू परिवार तक सीमित है या बाकी नेताओं पर भी लागू होती है? यदि बाकी नेताओं पर लागू होती है तो फिर ऐसा क्यों है कि जब तक ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे तब तक परिवारवादी थे और ज्यों ही भाजपा में गए, तब राष्ट्रवादी और संघवादी हो गए?’
‘भाजपा का भी परिवारवाद गलत है‘
कन्हैया कुमार ने रविशंकर प्रसाद, पीयूष गोयल और भाजपा के कुछ अन्य नेताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि कांग्रेस का परिवारवाद गलत है तो भाजपा का भी परिवारवाद गलत है। उन्होंने गांधी-नेहरू परिवार का उल्लेख करते हुए कहा कि दो प्रधानमंत्रियों (इंदिरा गांधी और राजीव गांधी) ने जान दे दी। नेहरू को क्या जरूरत थी 15 साल जेल में रहने की? वह तो मोतीलाल नेहरू के पुत्र थे।
उन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का हवाला देते हुए कहा कि चौहान मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे, इसका फैसला किसने किया? भाजपा की बैठक में फैसला हुआ था?…. क्या व्यक्तिवाद ज्यादा खतरनाक नहीं है? चौहान तो मोदी जी से ज्यादा बार मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने कहा कि परिवारवाद से ज्यादा खतरनाक व्यक्तिवाद है क्योंकि एक व्यक्ति ही फैसला लेता है।
‘तेजस्वी को मुझसे नहीं, वर्तमान शासन और परिस्थति से डरने की जरूरत‘
यह पूछे जाने पर कि क्या तेजस्वी यादव उनसे असहज महसूस करते हैं, कन्हैया कुमार ने कहा, ‘मैं इतना बड़ा व्यक्ति नहीं हूं कि जिनके पिता जी, माता जी मुख्यमंत्री रहे हों, कुछ महीने पहले तक वह खद उप मुख्यमंत्री थे, वह हमसे डर जाएंगे। उनको देश के वर्तमान शासन और परिस्थति से डरने की जरूरत है।’
‘बेगूसराय से टिकट मिलता तो मैं ज्यादा सहज महसूस करता‘
इस सवाल पर कि क्या वह बिहार के बेगूसराय से ही लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे तो कन्हैया कुमार ने कहा कि जो रास्ता मालूम होता है, व्यक्ति बार-बार उसी रास्ते पर चलना चाहता है। उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक संघर्ष के लिए मैं अपने आप को किसी स्थान तक सीमित करके नहीं देखता। पार्टी कहेगी कि चुनाव लड़ना है तो 543 सीटों में से कहीं से भी लड़ेंगे। पार्टी के आदेश की कभी अहवेलना नहीं करेंगे, लेकिन यह स्वाभाविक बात है जिस जगह को आप जानते हैं, वहां सहज महसूस करते हैं।’