नई दिल्ली, 16 अक्टूबर। उच्चतम न्यायालय ने राजनीतिक दलों को चंदा से संबंधित ‘चुनावी बांड’ की वैधता पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष विचार के लिए भेजने का सोमवार को फैसला किया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने यह फैसला कई मामलों को बड़ी पीठ के समक्ष रखने के अनुरोध पर किया।
पीठ ने कहा कि मामले के महत्व को देखते हुए संविधान के अनुच्छेद 145(3) के तहत याचिकाओं के एक समूह को पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया जा सकता है। मामले की सुनवाई पहले ही 31 अक्टूबर को तय की जा चुकी है। शीर्ष अदालत ने 10 अक्टूबर को कहा था कि मामले की अंतिम सुनवाई 31 अक्टूबर और जरुरत पड़ी , तो अगले दिन 01 नवंबर को भी की जाएगी।
शीर्ष अदालत के समक्ष एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), डॉ जया ठाकुर (कांग्रेस नेता), स्पंदन बिस्वाल और अन्य की ओर से केंद्र सरकार की चुनावी बांड योजना के खिलाफ दायर की गई थी। चुनावी बांड योजना राजनीतिक दलों के लिए धन जुटाने के प्रमुख स्रोतों में शामिल है।
पीठ के समक्ष एनजीओ एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने 10 अक्टूबर की सुनवाई के दौरान कहा था कि चुनावी बांड योजना को इसलिए चुनौती दी गई कि यह एक धन विधेयक में पारित किया गया था। इसके अलावा गुमनाम फंडिंग के प्रावधान के कारण यह योजना नागरिकों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है। योजना से राजनीतिक दलों को बड़ी मात्रा में धन उन कंपनियों से आता है, जिन्हें उनसे कुछ लाभ प्राप्त हुआ है और इस तरह यह भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देता है।