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एशियाई बैडमिंटन : सात्विकसाईराज व चिराग शेट्टी ने पुरुष युगल में पहली बार भारत को दिलाया स्वर्ण पदक

एशियाई बैडमिंटन : सात्विकसाईराज व चिराग शेट्टी ने पुरुष युगल में पहली बार भारत को दिलाया स्वर्ण पदक

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दुबई, 30 अप्रैल। भारतीय बैडमिंटन सितारों – सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी ने रविवार को यहां दुबई बैंडमिंटन एशिया चैंपियनशिप में ऐतिहासिक सफलता अर्जित की और प्रतियोगिता के 61 वर्षों के इतिहास में पहली बार देश को पुरुष युगल वर्ग का स्वर्ण पदक दिला दिया। इसके साथ ही भारत का प्रतियोगिता में दूसरा स्वर्ण पदक जीतने का 58 वर्ष लंबा इंतजार खत्म हो गया।

चिराग-सात्विक ने फाइनल में मलेशियाई जोड़ी को शिकस्त दी

शेख राशिद बिन हमदाल इनडोर हाल, अल नस्र क्लब के कोर्ट नंबर एक पर छठी वरीयता लेकर उतरे चिराग व सात्विकसाईरज ने 67 मिनट तक खिंचे संघर्षपूर्ण फाइनल में पहला गेम गंवाने के बाद वापसी की और आठवें वरीय  मलेशिया के तेओ ई यी और ओंग येव सिन को 16-21, 21-17, 21-19 से हराकर श्रेष्ठता सिद्ध कर दी।

52 वर्षों में पहली बार कोई भारतीय युगल टीम फाइनल तक पहुंची

विश्व रैंकिंग में छठे नंबर पर काबिज मुंबईवासी चिराग व उनके हैदराबादी जोड़ीदार सात्विकसाईराज ने वैसे तो शनिवार को फाइनल में प्रवेश के साथ ही इतिहास रच दिया था क्योंकि 52 वर्षों में पहली बार कोई भारतीय युगल टीम फाइनल तक पहुंची थी। इससे पहले इस चैंपियनशिप में भारतीय पुरुष युगल टीम का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कांस्य पदक रहा है, जो 1971 में दीपू घोष और रमन घोष ने जीता था। तब उन्हें सेमीफाइनल में हार का सामना करना पड़ा था।

दिनेश खन्ना ने 1965 में जीता था अब तक का इकलौता स्वर्ण

वर्ष 1962 से शुरू हुई एशिया की इस शीर्ष बैडमिंटन प्रतियोगिता में अब तक भारत के नाम सिर्फ एक स्वर्ण पदक था। एकल में वह स्वर्ण पदक दिनेश खन्ना ने 1965 (लखनऊ) में थाईलैंड के सांगोब रतनुसोर्न को हराकर जीता था। उसके बाद से पहली बार एकल या युगल में कोई भारतीय खिलाड़ी फाइनल में पहुंचा और अब इस प्रतियोगिता में भारतीय शटलरों के नाम दो स्वर्ण व 17 कांस्य सहित कुल 19 पदक हो गए हैं। इस बार भी एकल में भारतीय चुनौती क्वार्टरफाइनल में पीवी सिंधु व एच.एस. प्रणय की हार के साथ ही समाप्त हो गई थी। ये दोनों खिलाड़ी पूर्व में क्रमशः महिला व पुरुष एकल में कांस्य पदक जीत चुके हैं।

भारतीय जोड़ी ने पिछले माह स्विस इनडोर खिताब जीता था

फाइनल मुकाबले की बात करें तो शुरुआत से ही कड़ा संघर्ष देखने को मिला। गत माह 26 मार्च को ही स्विस इनडोर के रूप में बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर सुपर सीरीज का पांचवां खिताब जीतने वाले 22 वर्षीय सात्विकसाईराज व उम्र में उनसे तीन वर्ष बड़े चिराग पहले गेम में मध्यांतर तक 10-11 से पिछड़े थे। फिर उन्होंने 13-12 की बढ़त भी ली, लेकिन 13-13 की बराबरी के बाद मलेशियाई जोड़ी ने लगातार अंक जीतकर गेम ले लिया। इस दौरान भारतीय टीम ने तीन गेम अंक अवश्य बचाए।

दूसरे गेम में भी राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण विजेता भारतीय जोड़ी ने 7-11 से पिछड़ गई थी। लेकिन उसके बाद चिराग व सात्विकसाईराज ने 14-14 की बराबरी की और फिर आगे निकलते हुए मुकाबला तीसरे व निर्णायक गेम में पहुंचा दिया।

भारतीयों का मलेशियाई टीम के खिलाफ मैच रिकॉर्ड अब 4-3

मलेशियाई टीम ने तीसरे गेम में भी 11-8 और फिर 14-10 की बढ़त ले रखी थी। फिलहाल चिराग व सात्विक ने 15-15 की बराबरी के बाद अग्रता हासिल की और अंत में तीसरे मैच को भुनाकर खिताब पर अपना नाम लिखा लिया। इसके साथ ही भारतीयों ने तेओ ई यी और ओंग येव सिन के खिलाफ अपना मैच रिकॉर्ड 4-3 कर लिया।

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