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भारतीय शेयर बाजार : इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग टाइमिंग अब शाम 5 बजे तक, अन्य किसी ट्रेडिंग में बदलाव नहीं

भारतीय शेयर बाजार : इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग टाइमिंग अब शाम 5 बजे तक, अन्य किसी ट्रेडिंग में बदलाव नहीं

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नई दिल्ली, 21 फरवरी। भारतीय शेयर बाजार में यदि आप ट्रेडिंग करते हैं तो यह खबर आपके काम की हो सकती है। दरअसल, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स की टाइमिंग में बदलाव किया है। अब इसके तहत ट्रेडिंग शाम पांच बजे तक की जा सकेगी।

नया बदलाव 23 फरवरी से प्रभावी होगा। वर्तमान में इस तरह की ट्रेडिंग पूर्वाह्न नौ बजे से अपराह्न 3.30 बजे के बीच होती है। हालांकि, इक्विटी समेत किसी भी अन्य तरह की ट्रेडिंग की टाइमिंग पहले की तरह ही रहेगी। मतलब यह कि अन्य किसी भी ट्रेडिंग में बदलाव नहीं हुआ है।

क्या है इंटरेस्ट रेट डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग

डेरिवेटिव्स एक तरह के कॉन्ट्रैक्ट होते हैं, जिनकी कीमत किसी दिए गए खास एसेट्स पर निर्भर होती है। ये एसेट्स कुछ भी हो सकते हैं। मसलन, स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी, इंडेक्स आदि। ये कॉन्ट्रैक्ट सीमित अवधि के लिए वैलिड होते हैं। आसान भाषा में समझें तो निवेशक ट्रेडिंग के दौरान सीमित अवधि के लिए एक कॉन्ट्रैक्ट करते हैं, जिसके तहत स्टॉक, कमोडिटी आदि की खरीद-बिक्री करने की छूट होती है। जैसे अवधि खत्म होगी, ये कॉन्ट्रैक्ट रद हो जाते हैं। इसे ही कॉन्ट्रैक्ट एक्सापायरी के तौर पर भी जाना जाता है। इस मार्केट में चार विकल्प – फॉरवर्ड, फ्यूचर, ऑप्शंस और स्वैप होते हैं।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने जो बदलाव किया है, वो मुख्य तौर पर स्वैप के तहत प्रभावी होगा। स्वैप कॉन्ट्रैक्ट के तहत एक सिक्योरिटी को दूसरी सिक्योरिटी में बदलने की सुविधा मिलती है। इसमें इंटरेस्ट रेट और करंसी स्वैप शामिल होते हैं।

बाजार प्रतिभागियों और खुदरा निवेशकों को मदद मिलेगी जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के कार्यकारी निदेशक ए. बालकृष्णन ने कहा कि आज की दुनिया में अर्थव्यवस्थाएं अत्यधिक जुड़ी हुई हैं और वैश्विक बाजारों का एकीकरण धीरे-धीरे बढ़ रहा है। भारतीय शेयर बाजार का रुख अमेरिका और यूरोप की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं और बाजारों में होने वाली गतिविधियों से प्रभावित होता है। इसीलिए, जिन बाजारों में कारोबारी घंटे अधिक हैं, वे वैश्विक सूचना प्रवाह के कारण उत्पन्न होने वाले जोखिम को अधिक कुशल तरीके से रोक सकते हैं। इसीलिए एनएसई का कारोबारी समय बढ़ाने के कदम से बाजार प्रतिभागियों और खुदरा निवेशकों को मदद मिलेगी।

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