पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती बोले – ‘पहाड़ों का सम्मान जरूरी, पर्यावरण की कीमत पर विकास नहीं होना चाहिए’
हावड़ा, 12 जनवरी। उत्तराखंड के जोशीमठ समेत चमोली जिले के कई इलाकों में भूमि धंसवा को लेकर पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि पर्यावरण की कीमत पर विकास नहीं होना चाहिए। पहाड़ों का सम्मान जरूरी है। शंकराचार्य ने जोर देकर कहा कि पहाड़ों पर विकास के दौरान प्रकृति से संतुलन बनाए रखने की जरूरत है।
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने जोशीमठ में भूमि धंसने का जिक्र करते हुए कहा कि पहाड़ों का सम्मान करना जरूरी है। उन्होंने कहा, “वे (पहाड़) पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखते हैं। नदियां और जंगल भी पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखते हैं। विकास शब्द को इसके उचित संदर्भ में समझा जाना चाहिए। पृथ्वी, जल और वायु ‘ऊर्जा के स्रोत हैं’। पृथ्वी और पर्यावरण को शुद्ध और प्रदूषण मुक्त रखना हमारा काम है।”
उल्लेखनीय है कि चमोली जिले के डीएम हिमांशु खुराना के अनुसार अब तक 700 से अधिक घरों में दरारें देखी गई हैं। 131 परिवारों को राहत सहायता केंद्रों में शिफ्ट कर दिया गया है। सरकार ने प्रभावित घरों के परिवारवालों को बाजार के रेट पर मुआवजा देने की घोषणा की है।
उधर, पर्यावरणविद डॉ. अनिल जोशी ने बताया कि जोशीमठ का धंसना खतरे की घंटी है। उन्होंने दशकों या सदियों पहले ग्लेशियरों और अन्य प्राकृतिक घटनाओं द्वारा छोड़े जा सकने वाले मलबे पर बस्तियां होने के दीर्घकालिक जोखिमों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि भूमि धंसाव नदी के कटाव के कारण भी हो सकता है और पहाड़ी शहरों की जनसंख्या वहन क्षमता पर अध्ययन का सुझाव दिया।