तुर्की की दादागिरी से परेशान साइप्रस अब भारत के साथ करेगा रक्षा समझौता, विदेश मंत्री जयशंकर आज पहुंचेंगे निकोसिया
निकोसिया, 29 दिसम्बर। भूमध्य सागर में तुर्की की दादागिरी से परेशान साइप्रस अब भारत के साथ रक्षा समेत कई डील करने जा रहा है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर गुरुवार को ही साइप्रस की यात्रा पर पहुंच रहे हैं, जहां रक्षा के साथ आव्रजन को लेकर कई समझौतों पर हस्ताक्षर होगा। सर्वविदित है कि साइप्रस तुर्की की दुखती रग है और पाकिस्तान के इशारे पर कश्मीर और भारत को लेकर जहर उगलने वाले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन को डॉ. जयशंकर करारा जवाब देंगे।
गौरतलब है कि साइप्रस और तुर्की के बीच भूमध्यसागर की प्राकृतिक संपदा और क्षेत्र को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है। माना जा रहा है कि विदेश मंत्री जयशंकर के साथ बातचीत के दौरान तुर्की के साथ विवाद पर बातचीत हो सकती है। स्पूतनिक की रिपोर्ट के अनुसार जयशंकर और साइप्रस के बीच रक्षा और सैन्य सहयोग, खासतौर पर सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होगा। इसके अलावा ऊर्जा के क्षेत्र में भी समझौता होने के आसार हैं।
तुर्की की नीतियों पर भी होगी चर्चा
भारत और साइप्रस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 21 करोड़ 40 लाख डॉलर है। इसे आव्रजन समझौता करके और बढ़ाने की तैयारी है। साइप्रस के विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की इस यात्रा को ‘बहुत महत्वपूर्ण यात्रा’ करार दिया है। उसने कहा कि दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा क्षेत्रीय ढांचे में भारत की भागीदारी पर विचार होगा।
यूएनएससी में स्थायी सदस्यता दिलाने में अहम भूमिका निभा सकता है साइप्रस
साइप्रस के विदेश मंत्री इओन्निस भारतीय विदेश मंत्री को तुर्की की नीतियों के बारे में बताएंगे। इसमें खासतौर पर उन नीतियों के बारे में बताया जाएगा, जो साइप्रस के लिए संकट बन रही हैं। साइप्रस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनका देश भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
साइप्रस और तुर्की के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद
बता दें कि साइप्रस और तुर्की के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। इसकी शुरुआत साल 1974 में उस समय हुई थी, जब तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर हमला करते हुए अवैध तरीके से कब्जा कर लिया था। इसके बाद साइप्रस में सैन्य विद्रोह हुआ था और ग्रीस का समर्थन हासिल था।