उत्तर प्रदेश : हाई कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर प्रकरण में फैसला सुरक्षित रखा
प्रयागराज, 2 सितम्बर। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर प्रकरण में याचिकाकर्ताओं के वकीलों, केंद्र सरकार और राज्य सरकार की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
वाराणसी की अदालत ने परिसर के समग्र भौतिक सर्वेक्षण का दे रखा है निर्देश
ज्ञातव्य है कि वाराणसी की अदालत ने गत आठ अप्रैल के अपने आदेश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एक समग्र भौतिक सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था, जिससे यह पता लगाया जा सके कि काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित मस्जिद का निर्माण कराने के लिए एक मंदिर को ध्वस्त किया गया था। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद ने वाराणसी की अदालत के आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है।
उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने आज इस प्रकरण की सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता की दलील थी कि जिस याचिका पर वाराणसी की अदालत ने गत आठ अप्रैल को आदेश पारित किया है, वह पूजास्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 4 के तहत स्वयं में विचारणीय नहीं है क्योंकि यह धारा 15 अगस्त, 1947 को मौजूद किसी भी पूजास्थल की धार्मिक प्रकृति के परिवर्तन के संबंध में मुकदमा दायर करने या किसी अन्य कानूनी कार्यवाही से रोकती है।
उन्होंने कहा कि 1991 के कानून के मुताबिक, 15 अगस्त, 1947 को मौजूद एक धार्मिक स्थल के संबंध में कोई दावा नहीं किया जा सकता और न ही किसी धार्मिक स्थल की स्थिति में परिवर्तन के लिए राहत मांगी जा सकती है।
याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने अपनी दलील में यह भी कहा कि जब उच्च न्यायालय ने उक्त मुकदमे की विचारणीयता के मुद्दे पर अपना फैसला पहले ही सुरक्षित रख लिया है तो निचली अदालत को उच्च न्यायालय का फैसला आने तक इस मामले में कोई आदेश नहीं पारित करना चाहिए था।