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कोरोना संकट : महामारी की दूसरी लहर में पहली के मुकाबले 40 गुना ज्यादा मौतें

कोरोना संकट : महामारी की दूसरी लहर में पहली के मुकाबले 40 गुना ज्यादा मौतें

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नई दिल्ली, 29 जून। देश में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप तेजी से कम हो रहा है। इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि 102 दिनों बाद राष्ट्रीय स्तर पर नए संक्रमितों की संख्या 40 हजार से कम रही। फिलहाल एक अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि संक्रमण की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर बहुत ज्यादा खतरनाक साबित हुई और इस दौरान 40 गुना ज्यादा मौतें हुईं।

दरअसल, मैक्स हॉस्पिटल ने अपने 10 अस्पतालों का डेटा मिलाकर एक अहम अध्ययन के जरिए यह जानने की कोशिश की है कि पहली और दूसरी लहर में क्या फर्क रहा। इस स्टडी में ये चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।

कोरोना से मरने वालों में ज्यादातर मधुमेह पीड़ित थे

मैक्स के अध्ययन के अनुसार कोरोना वायरस की दूसरी लहर में 45 वर्ष से कम उम्र के लोगों में ज्यादा मौतें देखी गईं। साथ ही वायरस का शिकार होकर जान गंवाने वाले सबसे ज्यादा लोग मधुमेह (डायबिटीज) के रोगी थे। इसके अलावा दोनों ही लहर में पुरुषों की संख्या काफी ज्यादा रही जबकि दोनों लहर में स्टेरॉयड का इस्तेमाल बराबर हुआ।

दूसरी लहर में म्यूकोरमाइकोसिस के 40 हजार से ज्यादा केस

इस बीच स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ब्लैक फंगस यानी म्यूकोरमाइकोसिस के 40,845 केस दर्ज किए गए। इनमें से 3,129 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सरकारी जानकारी के अनुसार ब्लैक फंगस से पीड़ित 85 फीसदी मरीजों को कोरोना संक्रमण भी था। ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों में 32 फीसदी लोग 18 से 45 वर्ष आयु वर्ग के थे।

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