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रत्नागिरी की सभा में गरजे उद्धव ठाकरे – ‘पहले गली का कुत्ता भी भाजपा को नहीं पूछ रहा था’

रत्नागिरी की सभा में गरजे उद्धव ठाकरे – ‘पहले गली का कुत्ता भी भाजपा को नहीं पूछ रहा था’

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रत्नागिरी, 5 मार्च। निर्वाचन आयोग द्वारा एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और पार्टी का चुनाव चिह्न देने के फैसले के बाद शिवसेना ठाकरे गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पहली बार रत्नागिरी में जनसभा की। इस दौरान उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग पर जमकर हमला बोला।

पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लिए बगैर उन पर निशाना साधते हुए कहा, ‘शिवसेना की स्थापना चुनाव आयोग के पिता ने नहीं, बल्कि मेरे पिता ने की थी।’ उन्होंने साथ ही केंद्र की सत्ताधारी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि पहले गली का कुत्ता भी भाजपा को नहीं पूछ रहा था।

सत्ता का गुलाम है निर्वाचन आयोग

उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘निर्वाचन आयोग ने शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न छीन लिया है, लेकिन वह पार्टी को हमसे नहीं छीन सकता। मैं चुनाव आयोग से विशेष रूप से कहना चाहता हूं कि अगर उनकी आंखों में मोतियाबिंद नहीं है, तो यहां आकर देखें कि कौन सी शिवसेना असली है। यह ‘चुना लगाव आयोग’ है। ये सत्ता के गुलाम हैं। ऊपर वाले के हुक्म पर चलने वाले उनके गुलाम हैं। मैं खुलकर बोल रहा हूं कि वह चुनाव आयुक्त बनकर रहने के लायक नहीं हैं।’

शिवसेना की स्थापना आयोग के पिता ने नहीं, बल्कि मेरे पिता ने की थी

ठाकरे ने केंद्र और चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए कहा कि, ‘शिवसेना की स्थापना चुनाव आयोग के पिता ने नहीं, मेरे पिता ने की थी। इस सिद्धांत के अनुसार, चुनाव आयोग ने कहा है कि शिवसेना शिंदे समूह से संबंधित है, जो गलत है। शायद चुनाव आयोग के पापा ऊपर बैठे हैं। हालांकि, वह आयोग के पिता होंगे, मेरे नहीं।’

उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘क्या गोमूत्र छिड़क कर हमारे देश को आजादी मिली थी? क्या ऐसा हुआ कि गोमूत्र छिड़का गया और हमें आजादी मिली? ऐसा नहीं था, स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया तब हमें आजादी मिली।’

शिंदे पर तंज – शिवसेना के नाम पर नहीं, मोदी के नाम पर वोट मांगें

ठाकरे ने आगे कहा, ‘सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया, उन्होंने सरदार पटेल का नाम चुराया। इसी तरह, उन्होंने सुभाष चंद्र बोस को चुरा लिया और बाला साहेब ठाकरे के साथ ऐसा ही किया। मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि वे मोदी के नाम पर वोट मांगें, न कि शिवसेना के नाम पर और बिना बाला साहेब ठाकरे की फोटो के।’

तो 2024 का आखिरी चुनाव होगा

उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा, ‘हमें यह तय करना है कि जिनका स्वतंत्रता संग्राम से कोई संबंध नहीं है और पशु प्रवृत्ति हैं, उन्हें 2024 में दफन कर देना चाहिए। हमें शपथ लेनी है कि हम भारत माता को गुलामी के चंगुल में नहीं आने देंगे। अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो 2024 का चुनाव आखिरी होगा।’

उन्होंने कहा, ‘धनुष-बाण (पार्टी चिन्ह) चुराने वालों को मैं अपने सामने बुलाता हूं और मैं मशाल लेकर आपके सामने आता हूं। महाराष्ट्र जो तय करेगा मैं करूंगा, अगर आप लोग मुझे घर जाने के लिए कहेंगे तो मैं जाऊंगा। लेकिन मैं घर पर नहीं बैठूंगा, अगर चुनाव आयोग, जो सत्ता में बैठे लोगों का गुलाम है, मुझसे ऐसा करने के लिए कहेगा।’

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