1. Home
  2. हिन्दी
  3. राष्ट्रीय
  4. ईसाई और इस्लाम धर्म के प्रभुत्व वाली वैश्विक शक्ति साझेदारी में हिंदुओं के लिए कोई जगह नहींः विश्व हिंदू फाउंडेशन के अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद
ईसाई और इस्लाम धर्म के प्रभुत्व वाली वैश्विक शक्ति साझेदारी में हिंदुओं के लिए कोई जगह नहींः विश्व हिंदू फाउंडेशन के अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद

ईसाई और इस्लाम धर्म के प्रभुत्व वाली वैश्विक शक्ति साझेदारी में हिंदुओं के लिए कोई जगह नहींः विश्व हिंदू फाउंडेशन के अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद

0
Social Share

नई दिल्ली, (पीटीआई), विश्व हिंदू फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि वैश्विक शक्ति साझेदारी (ग्लोबल पावर शेयरिंग) में हिंदुओं के लिए कोई जगह नहीं है। विश्व हिंदू फाउंडेशन, हर चार साल में एक बार विश्व हिंदू कांग्रेस का आयोजन करती है। पीटीआई दिए एक इंटरव्यू में संस्था के अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि वैश्विक शक्ति साझेदारी संरचना में जगह बनाने के लिए वैश्विक हिंदू समुदाय को केवल डांस और फेस्टिवल के बजाय ताकत के रणनैतिक क्षेत्रों पर भी ध्यान देना चाहिए। फिलहाल इस पर ईसाई और इस्लाम धर्म का वर्चस्व है।

इस वर्ष विश्व हिंदू कांग्रेस का आयोजन 24 से 26 नवंबर तक बैंकॉक में आयोजित होने वाला है। इसमें 60 से अधिक देशों के हजारों हिंदू शामिल होंगे। संस्था के अध्यक्ष ने कहा कि इस साल की विश्व हिंदू कांग्रेस का विषय ‘जयस्य आयतनं धर्मः’ है, जिसका मतलब है “धर्म, विजय का निवास”। पिछली बार विश्व हिंदू कांग्रेस का आयोजन साल 2018 में शिकागो में हुआ था।

आईआईटी ग्रेजुएट स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि हिंदू केवल भांगड़ा, डांडिया, प्राणायाम के माध्यम से आधुनिक दुनिया में अपनी पहचान नहीं बना सकते। उन्होंने कहा, ”मैं इन सभी चीजों का सम्मान करता हूं, लेकिन सत्ता में भागीदारी के लिए हिंदुओं को अपनी मूल ताकत पर ध्यान केंद्रित करने और रणनीति बनाने की जरूरत है, जिसके लिए अब तक ज्यादा प्रयास नहीं किए गए हैं।”

उन्होंने कहा, “हिंदू वैश्विक आबादी का छठा हिस्सा हैं। हम कई देशों में सबसे अमीर लोग हैं। हम बहुत सफल हैं… शिक्षा और अकादमिक क्षेत्र में भी। लेकिन हम वास्तविक सत्ता साझेदारी के खेल में कहीं नहीं हैं।” स्वामी विज्ञानानंद एक दशक से अधिक समय से विश्व हिंदू कांग्रेस के माध्यम से दुनिया भर के हिंदुओं को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ”ये विश्व हिंदू कांग्रेस का हमारा लक्ष्य और प्रयास है।”

विश्व हिंदू कांग्रेस में सात विषयगत समानांतर सम्मेलन हैं। इसमें अर्थव्यवस्था, शिक्षा, मीडिया, राजनैतिक, महिला, युवा और संगठन शामिल है। पहली बार विश्व हिंदू कांग्रेस का आयोजन नई दिल्ली में हुआ था और दूसरी बार शिकागो में आयोजित हुई थी। उन्होंने कहा, “वैश्विक मंच पर, हिंदुओं को शांतिप्रिय, सह-अस्तित्व में रहने वाले और योगदान देने वाले समुदाय के रूप में स्थापित करने की आवश्यकता है, जो सरकारी कल्याण पर निर्भर नहीं हैं। दुनिया भर में हिंदू समुदाय उस देश में योगदान दे रहे हैं जहां वे रहते हैं।”

स्वामी विज्ञानानंद ने कहा, “हिंदुओं को राजनैतिक प्रक्रिया में भाग लेने की जरूरत है। मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन उदाहरण के लिए, कनाडा में हिंदुओं की संख्या खालिस्तानियों से कहीं ज्यादा है। लेकिन हमारे पास संसद के केवल चार सदस्य हैं और वो 27 हैं। वास्तविक सत्ता के खेल में 27 मायने रखते हैं, चार नहीं। यही हम वैश्विक हिंदू समुदाय को शिक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं।”

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code