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ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण : स्थानीय अदालत में पेश सीलबंद रिपोर्ट कुछ ही घंटों में हो गई सार्वजनिक

ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण : स्थानीय अदालत में पेश सीलबंद रिपोर्ट कुछ ही घंटों में हो गई सार्वजनिक

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वाराणसी, 19 मई। वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के फिल्‍मांकन की जो सर्वे रिपोर्ट गुरुवार को दिन में सीलबंद लिफाफे में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पेश की गई थी, वह कुछ ही घंटों बाद लीक हो गई।

सीलबंद लिफाफे में जमा की गई रिपोर्ट की एक कॉपी याचिकाकर्ताओं के वकीलों की ओर से साझा की गई है और यह याचिकाकर्ताओं के मस्जिद में हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियों की मौजूदगी के सबूत के दावों का समर्थन करती प्रतीत होती है।

गौरतलब है कि हिन्दू याचिकाकर्ताओं ने मस्जिद परिसर के अंदर मूर्तियां होने का दावा करते हुए इनकी पूजा की इजाजत देने का आग्रह किया था। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट कहती है कि मस्जिद के बेसमेंट के खंभों में फूल की नक्‍काशी और एक कलश है।

रिपोर्ट के कुछ निष्‍कर्ष इस प्रकार हैं :

  • तहखाने के एक खंभे पर प्राचीन हिन्दी भाषा में नक्‍काशी पाई गई है।
  • तहखाने की एक दीवार पर ‘त्रिशूल’ का चिह्न पाया गया है।
  • मस्जिद की पश्चिमी दीवार से दो बड़े स्‍तंभ और एक मेहराब निकला हुआ है।
  • याचिकाकर्ताओं ने इन्‍हें मस्जिद का अवशेष बताया जबकि मस्जिद कमेटी ने इसका विरोध किया।
  • मस्जिद के केंद्रीय गुंबद (central dome) के नीचे एक शंक्‍वाकार संरचना (conical structure) मिली। 
  • मस्जिद के तीसरे गुंबद के नीचे के पत्‍थर पर कमल की नक्‍काशी है। 
  • वजू के लिए उपयोग किए जाने वाले तालाब में 2.5 फीट ऊंची गोल संरचना देखी गई। जहां याचिकाकर्ताओं ने इसे शिवलिंग बताया, वहीं मस्जिद कमेटी ने कहा कि यह एक फव्‍वारा था।

हालांकि इस रिपोर्ट पर मस्जिद कमेटी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। उसका कहना है कि यह हैरतअंगेज है कि संवेदनशील प्रकृति की रिपोर्ट्स को कोर्ट की ओर से कोई राय देने के पहले ही शेयर किया जा रहा है। इस सबके बीच यह मूल प्रश्‍न अनुत्‍तरित है कि क्‍या यह सर्वे, पूजास्‍थल अधिनियम 1991 (Places of Worship Act of 1991) का उल्‍लंघन करता है।

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