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सुप्रीम कोर्ट की बंदिशें : जमानत अवधि के दौरान सीएम ऑफिस नहीं जाएंगे केजरीवाल और न ही फाइलों पर हस्ताक्षर करेंगे

सुप्रीम कोर्ट की बंदिशें : जमानत अवधि के दौरान सीएम ऑफिस नहीं जाएंगे केजरीवाल और न ही फाइलों पर हस्ताक्षर करेंगे

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नई दिल्ली, 10 मई। दिल्ली के आबकारी नीति घोटाले से जुड़े  मनी लॉन्ड्रिंग केस में 50 दिनों तक तिहाड़ जेल में रहे आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के कड़े प्रतिवाद के बावजूद भले ही 22 दिनों के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। लेकिन शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही कई शर्तें रखने के साथ उनपर कुछ बंदिशें भी लगा दी हैं। मसलन, दो जून को सरेंडर करने के पहले जमानत अवधि के दौरान अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री दफ्तर नहीं जाएंगे और न ही फाइलों पर हस्ताक्षर करेंगे।

सीएम केजरीवाल को इन शर्तों पर मिली अंतरिम जमानत

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ईडी के विरोध को दरकिनार करते हुए अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए एक जून तक सशर्त अंतरिम जमानत देते हुए जो शर्तें लगाई हैं, उनमें कहा है कि जमानत के दौरान केजरीवाल मुख्यमंत्री दफ्तर और सचिवालय नहीं जाएंगे। केस में अपनी भूमिका के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे और न ही इस केस से जुड़ी ऑफिशियल फाइलों को देखेंगे। वह इस केस के गवाहों से संपर्क भी नहीं करेंगे।

उप राज्यपाल से लेनी होगी मंजूरी

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा है कि केजरीवाल उनकी ओर से कोर्ट में दिए गए इस बयान से बंधे होंगे कि वह जमानत के दौरान किसी ऑफिशियल फाइल पर तब तक हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक कि किसी मामले में दिल्ली के उप राज्यपाल से मंजूरी लेने के लिए ऐसा करना जरूरी न हो।

50 हजार रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही राशि का एक जमानतदार

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने अरविंद केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एक जून तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि केजरीवाल जेल अधीक्षक की संतुष्टि का 50 हजार रुपये का निजी मुचलका भरेंगे और इतनी ही राशि का एक जमानतदार देंगे। हालांकि केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई अभी लंबित है।

ED ने अंतरिम जमानत का किया विरोध

जब पीठ मामले पर सुनवाई के लिए बैठी तो ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का विरोध करते हुए कहा कि चुनाव के आधार पर अंतरिम जमानत दिए जाने का अब तक कोई उदाहरण नहीं है। मेहता ने गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) में खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि अब वह भी इसी आधार पर कोर्ट पहुंचा है।

उल्लेखनीय है कि लगभग एक वर्ष पहले गिरफ्तार किया गया अमृतपाल इस समय डिब्रूगढ़ जेल में बंद है और वह पंजाब के खडूर साहिब सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहा है। फिलहाल ईडी के तर्क पर पीठ ने कहा कि वह मामला यहां लागू नहीं होगा। मेहता ने कहा कि केजरीवाल स्वयं चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। लेकिन कोर्ट ने कहा कि वह केजरीवाल को एक जून तक अंतरिम जमानत दे रहा है।

अगस्त, 2022 से चल रही है मामले की जांच

पीठ ने कहा 21 दिनों की अंतरिम जमानत से ज्यादा अंतर नहीं पड़ता। मामले की जांच अगस्त, 2022 से चल रही है। हालांकि, कोर्ट ने केजरीवाल के वकील की पांच जून तक अंतरिम जमानत देने की मांग नहीं मानी। कोर्ट ने कहा कि प्रचार पहले समाप्त हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि चार जून को लोकसभा चुनाव के रिजल्ट आ जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने और क्या कुछ कहा?

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह आदेश पारित करने का महत्वपूर्ण कारण 18वीं लोकसभा का चल रहा चुनाव है। केजरीवाल की अपील यहां लंबित है, ऐसे में कोर्ट को उचित नहीं लगता कि वह केजरीवाल को निर्देश दे कि अंतरिम जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाओ।
  • पीठ ने कहा कि लोकसभा के आम चुनाव इस वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण घटना है। 97 करोड़ मतदाताओं में से 65-70 करोड़ मतदाता मतदान करके अगले पांच वर्ष के लिए देश की सरकार चुनते हैं।
  • कोर्ट ने ईडी की यह दलील ठुकरा दी कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से राजनेता आम व्यक्ति की तुलना में ज्यादा लाभ की ऊंची स्थिति में हो जाएंगे।
  • कोर्ट ने कहा कि अंतरिम जमानत देते वक्त कोर्ट उस व्यक्ति से जुड़ी विशिष्ट चीजों और परिस्थितियों पर विचार करता है। वास्तव में उन परिस्थितियों को नजरअंदाज करना अन्यायपूर्ण और गलत होगा। अंतरिम जमानत प्रत्येक मामले के तथ्यों को देखते हुए दी जाती है। यह मामला कोई अपवाद नहीं है।
  • पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष (ईडी) ने सही कहा है कि अरविंद केजरीवाल नौ समन नोटिस पर पेश नहीं हुए। पहला समन उन्हें अक्टूबर, 2023 में जारी हुआ था। यह एक निगेटिव फैक्टर है। लेकिन इसके अलावा कई और पहलू भी विचारणीय हैं।
  • कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि उन पर गंभीर आरोप हैं लेकिन अब तक उन्हें कोर्ट से दोषी नहीं ठहराया गया है। उनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। वो समाज के लिए खतरा नहीं हैं।
  • कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी की वैधानिकता का मामला अब तक लंबित है और कोर्ट को उस पर फैसला देना है।
  • पीठ ने कहा कि इस मामले के तथ्यों-परिस्थितियों की तुलना फसल की बुवाई या व्यापार की देखरेख से नहीं की जा सकती। जब गिरफ्तारी की वैधानिकता का मामला विचार के लिए लंबित है तो 18वीं लोकसभा चुनाव को देखते हुए ज्यादा समग्र और उदारवादी नजरिया लेना न्यायोचित है। कोर्ट ने अंतरिम जमानत देने के विभिन्न पूर्व फैसलों को भी आदेश में उद्धत किया है।

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