स्टॉक मार्केट ऑपरेटर केतन पारेख फिर सेबी के निशाने पर, मार्केट रेगुलेटर ने किया फ्रंट रनिंग घोटाले का खुलासा
मुंबई, 2 जनवरी। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने स्टॉक मार्केट ऑपरेटर केतन पारेख को एक बार फिर निशाने पर लेते हुए फ्रंट रनिंग घोटाले का खुलासा किया है, जिसमें पारेख की भी भूमिका रही है। केतन पारेख और सिंगापुर के ट्रेडर रोहित सलगांवकर वर्ष 2000 में हुए एक घोटाले में जेल भी जा चुके हैं और इन दोनों पर 14 वर्षों तक शेयर बाजार में प्रवेश पर रोक भी लगाई गई थी।
सेबी ने 20 ठिकानों से जुड़ी जांच का विस्तृत आदेश जारी किया
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने गुरुवार को जारी आदेश में उस जांच के बारे में विस्तार से बताया है, जो 20 ठिकानों से जुड़ी है। जांच के दौरान गलत तरीके से हासिल की गई तकरीबन 65.77 करोड़ रुपये की रकम भी जब्त की गई। यह आदेश 22 इकाइयों के खिलाफ जारी किया गया है।
सेबी के होल टाइम मेंबर कमलेश वार्ष्णेय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है, ‘नोटिस प्राप्तकर्ता नंबर 1 रोहित सलगांवकर और नोटिस प्राप्तकर्ता नंबर 2 केतन पारेख ने फ्रंट रनिंग गतिविधियों की मदद से बिग क्लाइंट (फंड हाउस) के NPI का बेजा इस्तेमाल कर लाभ उठाया। नोटिस प्राप्तकर्ता नंबर 10 (अशोक कुमार पोद्दार) ने फ्रंट रनिंग गतिविधियों में भूमिका निभाने की बात स्वीकार की है।
केतन पारेख व अशोक पोद्दार पर तत्काल प्रभाव से पाबंदी
इसके अलावा, नोटिस प्राप्तकर्ता नंबर 2 और 10 केतन पारेख और अशोक कुमार पोद्दार को सिक्योरिटीज मार्केट में गतिविधियों को अंजाम देने से रोक लगा दी गई है। इन दोनों पर पहले भी सिक्योरिटीज मार्केट में एंट्री पर रोक लगाई गई थी। इस बात को ध्यान में रखते हुए नोटिस प्राप्तकर्ता नंबर 1,2 और 10 को तत्काल प्रभाव से सिक्योरिटीज या सेबी के साथ रजिस्टर्ड किसी भी इंटरमीडियरीज में खरीद, बिक्री या अन्य गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है।’
आदेश के अनुसार, ‘बिग क्लाइंट (फंड हाउस जहां सलगांवकर के करीबी संबंध थे) के ट्रेडर्स सौदे को अंजाम देने से पहले रोहित सलगांवकर के साथ बातचीत कर रहे थे और पहली नजर में मिली जानकारी के मुताबिक, सलगांवकर ने इस सूचना को केतन पारेख के साथ साझा कर इससे फायदा उठाया। रोहित सलगांवकर यह सूचना केतन पारेख तक पहुंचाकर अवैध प्रॉफिट कमा रहे थे। जब यह सूचना केतन पारेख तक पहुंची, तो उन्होंने इसका लाभ उठाते हुए सिलसिलेवार तरीके से काम किया। इस क्रम में अलग-अलग खातों में ट्रेड को अंजाम दिया गया और गैर-कानूनी तरीके से लाभ कमाया गया।’
पूरे ऑपरेशन और जांच में इस बात की जानकारी गई है कि पारेख ने किस तरह से ट्रेड की फ्रंट रनिंग के लिए कोलकाता की इकाइयों के अपने पुराने नेटवर्क का इस्तेमाल किया और मुख्य खिलाड़ी कैसे रेगुलेटरी दायरे से बाहर ऑपरेट कर रहे थे।