
सोनिया गांधी का केंद्र पर हमला – ‘मोदी सरकार ने ईरान-इजराइल जंग को लेकर मूल्यों को ताक पर रखा..’
नई दिल्ली, 21 जून। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने गाजा की स्थिति और इजराइल-ईरान सैन्य संघर्ष पर चुप्पी साधते हुए भारत के नैतिक और पारंपरिक रुख से दूरी बना ली है तथा मूल्यों को भी ताक पर रख दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को बोलना चाहिए और पश्चिम एशिया में संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए उपलब्ध हर राजनयिक माध्यम का उपयोग करना चाहिए।
ईरान गहरे सभ्यतागत संबंधों से भारत के साथ जुड़ा हुआ है
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अंग्रेजी दैनिक ‘द हिन्दू’ में लिखे एक लेख में आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने इजराइल और फलस्तीन के रूप में दो राष्ट्र वाले समाधान से जुड़े भारत के सैद्धांतिक रुख को त्याग दिया है। उन्होंने लेख में कहा, ‘ईरान, भारत का लंबे समय से मित्र रहा है और गहरे सभ्यतागत संबंधों से हमारे साथ जुड़ा हुआ है। इसका जम्मू-कश्मीर समेत महत्वपूर्ण मौकों पर दृढ़ समर्थन का इतिहास रहा है। वर्ष 1994 में ईरान ने कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत की आलोचना करने वाले एक प्रस्ताव को रोकने में मदद की थी।’
New Delhi’s silence on the devastation in Gaza — and now the unprovoked escalation against Iran — marks a troubling shift from India’s long-standing moral and diplomatic traditions. This is not just a silence of voice, but a surrender of values.
But it is not too late. India… pic.twitter.com/kuXP5rEz2w
— Assam Congress (@INCAssam) June 21, 2025
सोनिया गांधी ने कहा, ‘वास्तव में इस्लामी गणतंत्र ईरान अपने पूर्ववर्ती, ईरान के उस शाही राज्य की तुलना में भारत के साथ कहीं अधिक सहयोगी रहा है, जिसका झुकाव 1965 और 1971 के युद्धों में पाकिस्तान की ओर था।’ उन्होंने यह भी कहा, ‘भारत और इजराइल ने हाल के दशकों में रणनीतिक संबंध भी विकसित किए हैं। यह अद्वितीय स्थिति हमारे देश को तनाव कम करने और शांति के लिए एक सेतु के रूप में कार्य करने की नैतिक जिम्मेदारी और राजनयिक अवसर देती है।’
उन्होंने कहा कि लाखों भारतीय नागरिक पूरे पश्चिम एशिया में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं, जो इस क्षेत्र में शांति को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय हित का मुद्दा बनाता है। ईरान के खिलाफ इजराइल की हालिया काररवाई शक्तिशाली पश्चिमी देशों के लगभग बिना शर्त समर्थन से संभव हुई है।
‘हम इजराइल की असंगत प्रतिक्रिया को लेकर चुप नहीं रह सकते’
सोनिया ने लेख में लिखा, ‘भारत ने 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा किए गए बिल्कुल भयावह और पूरी तरह से अस्वीकार्य हमलों की स्पष्ट रूप से निंदा की थी। हम इजराइल की असंगत प्रतिक्रिया को लेकर चुप नहीं रह सकते। 55,000 से अधिक फलस्तीनी अपनी जान गंवा चुके हैं। पूरे परिवार, पड़ोस और यहां तक कि अस्पताल भी नष्ट कर दिए गए हैं। गाजा अकाल के कगार पर खड़ा है, और इसकी नागरिक आबादी को अकथनीय कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।’
कांग्रेस की शीर्ष नेता ने दावा किया कि इस मानवीय त्रासदी के सामने नरेंद्र मोदी सरकार ने दो राष्ट्र वाले समाधान के लिए भारत की दीर्घकालिक और सैद्धांतिक प्रतिबद्धता को पूरी तरह से त्याग दिया है, जो एक ऐसे संप्रभु, स्वतंत्र फलस्तीन की कल्पना करता है, जो पारस्परिक सुरक्षा और सम्मान के साथ इजराइल के साथ रहे।
‘नई दिल्ली की चुप्पी हमारी नैतिक व कूटनीतिक परंपराओं से अलग’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘गाजा में तबाही और अब ईरान के खिलाफ अकारण काररवाई पर नई दिल्ली की चुप्पी हमारी नैतिक और कूटनीतिक परंपराओं से अलग होने का द्योतक है। यह सिर्फ आवाज का खोना नहीं, बल्कि मूल्यों को ताक पर रखना भी है।’
सोनिया गांधी ने कहा, ‘अब भी देर नहीं हुई है। भारत को स्पष्ट रूप से बोलना चाहिए, जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए और तनाव कम करने और पश्चिम एशिया में बातचीत को बढ़ावा देने के लिए उपलब्ध हर राजनयिक माध्यम का उपयोग करना चाहिए।’