
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए रियल GDP ग्रोथ अनुमान 6.5% पर रखा बरकरार, रेपो रेट में 0.5 प्रतिशत की कटौती
मुंबई, 6 जून। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखते हुए कहा कि वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती, स्थिरता एवं अवसर की तस्वीर पेश करती है।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5 प्रतिशत दर्ज की गई थी और इसके 2025-26 में भी इतना ही रहने का अनुमान लगाया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल-जून तिमाही के लिए 6.5 प्रतिशत और जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान लगाया है।
वित्त वर्ष 2025-26 की अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर क्रमशः 6.6 प्रतिशत एवं 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को प्रमुख नीति दर रेपो में 0.5 प्रतिशत की कटौती कर इसे 5.5 प्रतिशत कर दिया और कहा कि ब्याज दरों में कटौती से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, ‘‘ वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के कारण मूल्य स्थिरता के बीच घरेलू वृद्धि पर ध्यान देना और भी महत्वपूर्ण हो गया है। इसलिए मौद्रिक नीति सीमित के आज के कदम को वृद्धि को उच्च स्तर पर ले जाने की दिशा में एक कदम के रूप में देखा जाना चाहिए।’’
चालू वित्त वर्ष की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि पूंजी प्रवाह एवं विनिमय दरों में बढ़ती अस्थिरता के बीच, उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों के लिए वैश्विक प्रभाव के खिलाफ अपनी अर्थव्यवस्थाओं को स्थिर करने का कठिन कार्य है।
उन्होंने कहा, ‘‘ इस वैश्विक परिवेश में भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूती, स्थिरता और अवसर की तस्वीर पेश करती है… बुनियादी बातों का यह खाका भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रभाव से बचाने और इसे तेज गति से बढ़ने के लिए आवश्यक मूल शक्ति प्रदान करता है।’’
मल्होत्रा ने विस्तार से बताते हुए कहा कि ताकत मजबूत बही-खाते से आती है। इसके अलावा, तीनों मोर्चों कीमत, वित्तीय और राजनीतिक.. पर स्थिरता है जो इस गतिशील रूप से विकसित हो रही वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में नीति एवं आर्थिक निश्चितता प्रदान करती है। साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था जनसांख्यिकी, डिजिटलीकरण और घरेलू मांग के माध्यम से निवेशकों को अपार अवसर प्रदान करती है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल एवं बढ़ती अनिश्चितता के बीच भारत की वृद्धि दर उम्मीद से कम बनी हुई है। इसलिए, वृद्धि की गति को बढ़ाने के लिए नीतिगत उपायों के माध्यम से घरेलू निजी खपत एवं निवेश को प्रोत्साहित करना जरूरी है। उन्होंने साथ ही कहा कि सामान्य से अधिक दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा की उम्मीद से कृषि क्षेत्र एवं ग्रामीण मांग को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।