लखनऊ, 14 जनवरी। मशहूर शायर मुनव्वर राना का रविवार को देर रात हार्ट अटैक से निधन हो गया। 71 वर्षीय मुनव्वर राणा लंबे समय से गले के कैंसर से पीड़ित थे। कुछ दिन पहले उन्हें स्थानीय संजय गांधी परास्नातक आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में भर्ती किया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। बेटी सुमैया राना ने पिता की मौत की पुष्टि की।
सुमैया ने गत गुरुवार की सुबह करीब साढ़े तीन बजे जारी एक वीडियो में कहा था कि पिछले दो-तीन दिनों से मेरे पिता की तबीयत बिगड़ रही है। डायलिसिस के दौरान उनके पेट में तेज दर्द हुआ। डॉक्टरों ने सीटी स्कैन किया और उनके पित्ताशय में कुछ समस्या पाई। फिर उनका ऑपरेशन किया गया था।
रविवार को कुछ घंटे के भीतर तीन बार पड़ा दिल का दौरा
मुनव्वर की दूसरी बेटी फाजिया राना ने बताया कि ऑपरेशन के बाद शायर की हालत में सुधार हो रहा था। लेकिन शनिवार की दोपहर उन्हें दिल का दौरा पड़ा तो उनकी हालत बिगड़ती चली गई। इसके बाद रविवार शाम को उन्हें दूसरा दिल का दौरा पड़ा और कुछ ही देर बाद रात 11 बजे के करीब तीसरा दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उनका निधन हो गया।
अखिलेश यादव ने दी श्रद्धांजलि
इस बीच समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दिवंगत शायर को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘तो अब इस गांव से रिश्ता हमारा खत्म होता है…फिर आंखें खोल ली जाएं कि सपना खत्म होता है।’ अखिलेश ने इसी संदेश में आगे कहा, ‘देश के जानेमाने शायर मुन्नवर राना जी का निधन अत्यंत हृदय विदारक। दिवंगत आत्मा की शांति की कामना। भावभीनी श्रद्धांजलि।’
तो अब इस गांव से
रिश्ता हमारा खत्म होता है
फिर आंखें खोल ली जाएं कि
सपना खत्म होता है।देश के जानेमाने शायर मुन्नवर राना जी का निधन अत्यंत हृदय विदारक।
दिवंगत आत्मा की शांति की कामना।
भावभीनी श्रद्धांजलि। pic.twitter.com/BDDbojdYNh
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) January 14, 2024
वर्ष 2014 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था
मुनव्वर राना को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए वर्ष 2014 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सोमैया ने बताया कि राना को सोमवार को उनकी वसीयत के मुताबिक लखनऊ में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। राना के परिवार में उनकी पत्नी, पांच बेटियां और एक बेटा है।
मुनव्वर राना की नज्म ‘मां‘ का उर्दू साहित्य जगत में एक अलग स्थान
हिन्दुस्तान के सबसे मशहूर शायरों में शुमार किए जाने वाले मुनव्वर राना की नज्म ‘मां’ का उर्दू साहित्य जगत में एक अलग स्थान है। वर्ष 1952 में उत्तर प्रदेश के रायबरेली में जन्मे मुनव्वर राना की शायरी बेहद सरल शब्दों पर आधारित हुआ करती थी, जिसने उन्हें आम लोगों के बीच लोकप्रिय बनाया।