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पीएम मोदी की अपील – प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाएं, इससे 80 फीसदी किसानों को होगा फायदा

पीएम मोदी की अपील – प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाएं, इससे 80 फीसदी किसानों को होगा फायदा

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अहमदाबाद, 16 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती पर जोर देते हुए देश के किसानों से इसे जन आंदोलन बनाने की अपील है। साथ ही कहा है कि देश के 80 फीसदी किसानों को नेचुरल फॉर्मिंग से फायदा होगा। उन्होंने गुरुवार को गुजरात के आणंद में आयोजित कॉन्क्लेव ऑन नेचुरल फार्मिंग में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भागीदारी करते अपने संबोधन में ये बातें कहीं।

पीएम मोदी ने कहा, ‘मानवता के विकास का, इतिहास इसका साक्षी है। नेचुरल फार्मिंग से जिन्हें सबसे अधिक फायदा होगा, वो हैं देश के 80 प्रतिशत किसान। वो छोटे किसान, जिनके पास दो हेक्टेयर से कम भूमि है। इनमें से अधिकतर किसानों का काफी खर्च, केमिकल फर्टिलाइजर पर होता है।’

उन्होंने कहा, ‘अगर वो प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ेंगे तो उनकी स्थिति और बेहतर होगी। मैं आज देश के हर राज्य से, हर राज्य सरकार से यह आग्रह करुंगा कि वो प्राकृतिक खेती को जन आंदोलन बनाने के लिए आगे आएं। इस अमृत महोत्सव में हर पंचायत का कम से कम एक गांव जरूर प्राकृतिक खेती से जुड़े, ये प्रयास हम कर सकते हैं।’

अब नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का समय

पीएम मोदी ने कहा, आजादी के बाद के दशकों में जिस तरह देश में खेती हुई, जिस दिशा में बढ़ी, वो हम सबने बहुत बारीकी से देखा है। अब आजादी के 100वें वर्ष तक का जो हमारा सफर है, वो नई आवश्यकताओं, नई चुनौतियों के अनुसार अपनी खेती को ढालने का है।’

किसान की आय को बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं

प्रधानमंत्री ने, ‘बीते 6-7 साल में बीज से लेकर बाजार तक, किसान की आय को बढ़ाने के लिए एक के बाद एक अनेक कदम उठाए गए हैं। मिट्टी की जांच से लेकर सैकड़ों नए बीज तक, पीएम किसान सम्मान निधि से लेकर लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी तक, सिंचाई के सशक्त नेटवर्क से लेकर किसान रेल तक, अनेक कदम उठाए हैं। ये सही है कि केमिकल और फर्टिलाइजर ने हरित क्रांति में अहम रोल निभाया है। लेकिन ये भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करते रहना होगा।’

खेती को केमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना होगा

पीएम मोदी ने कहा, ‘खेती से जुड़ी समस्याएं भी विकराल हो जाएं, उससे पहले बड़े कदम उठाने का ये सही समय है। हमें अपनी खेती को केमिस्ट्री की लैब से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोड़ना ही होगा। जब मैं प्रकृति की प्रयोगशाला की बात करता हूं तो ये पूरी तरह से विज्ञान आधारित ही है।’

उन्होंने कहा, ‘आज दुनिया जितना आधुनिक हो रही है, उतना ही ‘back to basic’ की ओर बढ़ रही है। इस Back to basic का मतलब क्या है? इसका मतलब है अपनी जड़ों से जुड़ना! इस बात को आप सब किसान साथियों से बेहतर कौन समझता है? हम जितना जड़ों को सींचते हैं, उतना ही पौधे का विकास होता है।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘हम देखते हैं कि जिस प्रकार मिट्टी को जब तपाया जाता है, तो वो ईंट का रूप ले लेती है। लेकिन फसल के अवशेषों को जलाने की हमारे यहां परंपरा सी पड़ गई है। एक भ्रम यह भी पैदा हो गया है कि बिना केमिकल के फसल अच्छी नहीं होगी जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। पहले केमिकल नहीं होते थे, लेकिन फसल अच्छी होती थी।’ इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी मंच से अपने विचार साझा किए।

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