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श्रीलंका के रास्ते पर पाकिस्तान : एक माह का गुजारा करना भी मुश्किल, जल्द शुरू हो सकता है छंटनी का अगला दौर

श्रीलंका के रास्ते पर पाकिस्तान : एक माह का गुजारा करना भी मुश्किल, जल्द शुरू हो सकता है छंटनी का अगला दौर

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इस्लामाबाद, 24 दिसम्बर। श्रीलंका की भांति भीषण नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के आर्थिक हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में देश भीषण आर्थिक संकट में फंस सकता है।

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने की शहबाज शरीफ सरकार की आलोचना

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) ने शहबाज शरीफ सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि उसने कीमत और वित्तीय स्थिरता को दांव पर लगाकर ग्रोथ को तरजीह दी। अब देश को इसका नतीजा भुगतना पड़ रहा है। SBP ने हाल ही में जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय अनुभव ने बार-बार बताया है कि जो देश कीमत और वित्तीय स्थिरता को दांव पर लगाकर ग्रोथ को प्राथमिकता देते हैं, वे ग्रोथ को बरकरार नहीं रख पाते हैं।

कीमत और वित्तीय स्थिरता को दांव पर लगाकर ग्रोथ को तरजीह देने का आरोप

‘डॉन न्यूज’ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय बैंक ने कहा है कि ऐसी स्थिति में देशों को बार-बार आर्थिक वृद्धि के बाद आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। पाकिस्तान इस समय गहरे नकदी संकट से जूझ रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार ने वित्त वर्ष 2023 के लिए ग्रोथ पर ध्यान केंद्रित करने से परहेज किया है। इसके बावजूद वह वित्तीय और मूल्य स्थिरता लाने में विफल रही है। एसबीपी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2023 में वृद्धि दर तय लक्ष्य के मुकाबले कम होगी। इस तरह वृद्धि दर 3-4 फीसदी से कम रह सकती है।

एक बार फिर बड़ी छंटनी की आशंका

ग्रोथ में तेज गिरावट के कारण पहले ही व्यापार और औद्योगिक क्षेत्रों में भारी छंटनी हो चुकी है और माना जा रहा है कि छंटनी का एक और बड़ा दौर जल्द शुरू होगा। कपड़ा मिलों, निर्यातकों और आयातकों ने साख पत्र के न खुलने पर गंभीर चिंता जताई है, जिसने व्यापार चक्र को पंगु बना दिया है।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार 8 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर

सरकार द्वारा कीमतों पर ध्यान देने के बावजूद पिछले पांच महीनों से महंगाई 25 प्रतिशत के आसपास है। इससे स्थिरता और ग्रोथ की संभावनाएं बिगड़ रही हैं। देश का विदेशी मुद्रा भंडार आठ वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है। 16 दिसम्बर तक यह 6.1 अरब डॉलर रह गया था। इससे केवल एक महीने का आयात किया जा सकता है।

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