अफगानिस्तान संकट : पंजशीर में पाकिस्तान ने बरसाए बम, तालिबानी हमले में मसूद के प्रवक्ता की मौत
काबुल, 6 सितम्बर। संकटग्रस्त अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत पर कब्जे की तालिबान की कोशिशें अब तक पूरी तरह सफल नहीं हुई हैं और पंजशीर के लड़ाकों से भीषण संघर्ष जारी है। इसी दौरान पंजशीर घाटी के विद्रोही नेता अहमद शाह मसूद के प्रवक्ता और पत्रकार फहीम दश्ती की मौत हो गई है। तालिबान के इस खूनी हमले में मदद के लिए पाकिस्तानी सेना की ओर से भी बमबारी और ड्रोन हमले की जानकारी मिल रही है।
अमरुल्ला सालेह के घर को भी बनाया निशाना
अफगान मीडिया में जारी खबरों के अनुसार पाकिस्तानी हेलीकॉप्टर और ड्रोन विमान पंजशीर घाटी में तालिबान की मदद के लिए लगातार बमबारी कर रहे हैं। इस दौरान देश के पूर्व उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के घर को निशाना बनाया गया, जिन्होंने राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर जाने के बाद खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर रखा है।
समझा जाता है कि पाकिस्तानी हमले के बाद अमरुल्ला सालेह पंजशीर के पहाड़ों में कहीं सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। यह पाकिस्तानी हमला ऐसे समय पर हुआ है, जब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ जनरल फैज तालिबान के निमंत्रण पर इन दिनों काबुल दौरे पर हैं।
अहमद मसूद के भतीजे की भी मौत
इस बीच इस बीच नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ने एक बयान जारी कर अहमद शाह मसूद के प्रवक्ता फहीम दश्ती के मारे जाने की पुष्टि की है। इससे अहमद मसूद को बड़ा झटका लगा है। यही नहीं पंजशीर के शेर कहे जाने वाले अहमद मसूद के भतीजे जनरल साहिब अब्दुल वदूद झोर की भी मौत हो गई है। दश्ती जमात-ए-इस्लामी पार्टी के वरिष्ठ नेता थे।
मसूद ने दिया शांतिपूर्ण समाधान का प्रस्ताव
दूसरी तरफ अहमद मसूद ने तालिबान को पूरे विवाद के शांतिपूर्ण समाधान का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि वह धार्मिक विद्वानों के बातचीत के प्रस्ताव का स्वागत करते हैं। उनका यह प्रस्ताव ऐसे समय पर आया है, जब पंजशीर घाटी के हर जिले तक तालिबानी पहुंच गए हैं और दोनों ही ओर से भीषण जंग जारी है।
बताया जा रहा है कि तालिबान के साथ जंग में अहमद मसूद को बहुत नुकसान पहुंचा है और वह सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। मसूद पक्ष ने कहा है कि तालिबान पंजशीर घाटी से वापस जाए, इसके बदले में वे भी अपनी सैन्य काररवाई को बंद कर देंगे। मसूद ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि इसके बाद दोनों ही पक्षों के धार्मिक विद्वानों की उलेमा काउंसिल की बैठक बुलाई जाए।