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‘मोदी सरनेम’ मामले में राहुल गांधी को राहत नहीं, दोनों पक्षों की ओर से घंटों चलीं दलीलें, अब 20 अप्रैल को होगी सुनवाई

‘मोदी सरनेम’ मामले में राहुल गांधी को राहत नहीं, दोनों पक्षों की ओर से घंटों चलीं दलीलें, अब 20 अप्रैल को होगी सुनवाई

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सूरत, 13 अप्रैल। ‘मोदी सरनेम’ को लेकर विवादित बयान की वजह से आपराधिक मानहानि के दोषी करार दिए गए पूर्व कांग्रेस आ राहुल गांधी को फिलहाल राहत नहीं मिली क्योंकि उनकी याचिका पर गुरुवार को यहां सेशंस कोर्ट में सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। राहुल को इस मामले में दो वर्ष की सजा सुनाई गई है।

कोर्ट में कई घंटों तक दोनों ओर से दलीलों को सुनने के बाद जज ने आगे की सुनवाई के लिए 20 अप्रैल की तारीख तय की है। माना जा रहा है कि उस दिन कुछ फैसला आ सकता है। सीजेएम कोर्ट के फैसले को राहुल गांधी ने तीन अप्रैल को सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी और अपनी दोषसिद्धि पर रोक की मांग की थी।

राहुल के वकील चीमा की दलील – कोर्ट को सजा के परिणामों पर विचार करना चाहिए

कोर्ट में पूर्वाह्न करीब 11.15 बजे मामले की सुनवाई शुरू हुई और एक घंटे के लंच ब्रेक को छोड़ शाम पांच बजे तक लगातार दोनों ओर से दी गई दलीलों को जज सुनते रहे। जज रॉबिन मोगेरा की अदालत में राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील आरएस चीमा ने दलीलें पेश कीं। चीमा ने कहा कि स्पष्ट रूप से मामले की मेरिट पर विचार करने की आवश्यकता है। एक फैसले को पढ़ते हुए उन्होंने कहा, ‘शक्ति एक अपवाद है, लेकिन अदालत को सजा के परिणामों पर विचार करना चाहिए।’

आरएस चीमा ने कहा कि न्यायालय को इस बात पर विचार करना है कि क्या दोषी को अपूरणीय क्षति होगी। उन्होंने सजा की वजह से राहुल गांधी की सदस्यता छिन जाने का हवाला देते हुए स्टे की मांग की और सुप्रीम कोर्ट की कुछ टिप्पणियों का हवाला दिया।

चीमा ने यह भी कहा कि राहुल गांधी ने 2019 में केरल की वायनाड सीट से 4,31070 वोट के मार्जिन से जीत हासिल की थी, लेकिन अब उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि भाषण की भी जांच करनी होगी और यह भी देखना चाहिए कि शिकायतकर्ता पीड़ित व्यक्ति है या नहीं। कानून के मुताबिक पीड़ित व्यक्ति ही शिकायत कर सकता है। चीमा ने एक गवाह का बयान पढ़ते हुए कहा कि मोदी जाति नहीं है, बल्कि गोसाई जाति है। गोसाई जाति के लोगों को मोदी कहा जाता है।

पूर्णेश मोदी के वकील हर्षित टोलिया की दलीलें

चीमा की दलीलें खत्म होने के बाद पूर्णेश मोदी के वकील हर्षित टोलिया ने अपना पक्ष रखा। हर्षित ने कहा कि राहुल गांधी के खिलाफ 10-12 आपराधिक मानहानि के केस चल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें फटकार लगाई है। कोर्ट से दोषी करार दिए जाने के बाद भी वह कह रहे हैं कोई गलती नहीं की, यह अहंकार है। वकील ने कहा कि राहुल गांधी को सजा की वजह से उन्हें अयोग्य करार दिया गया है, वह चुनाव और इसमें मिली जीत की दलील दे रहे हैं, क्या इस समय यह कोई कारक हो सकता है?

हर्षित टोलिया ने अधिकतम सजा को सही करार देते हुए कहा, ‘वह पूरी तरह होश में थे क्योंकि रैली को संबोधित कर रहे थे। क्या वह इतने बचकाने थे कि उन्हें नहीं पता था कि मोदी सरनेम के संदर्भ का मतलब सभी मोदी से होगा।’ टोलिया ने कहा कि राहुल गांधी जनता के सामने जाकर कोर्ट के खिलाफ बयान दे रहे हैं। वह कह रहे हैं कि हाई कोर्ट से याचिका वापस लिए जाने के एक महीने बाद ही मजिस्ट्रेट ने केस का फैसला कर दिया। क्या यह जज पर इल्जाम नहीं है?

सजा मिलने के बाद चली गई राहुल की संसद सदस्यता

उल्लेखनीय है कि भाजपा नेता पूर्णेश मोदी की ओर से दर्ज कराए गए आपराधिक मानहानि केस में दो साल की सजा मिलने के बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता छिन गई थी। सदस्यता बहाली के लिए ऊपरी अदालत से दोषसिद्धि पर रोक या सजा में कमी करना आवश्यक है। यदि ऐसा होता है तो राहुल गांधी की सदस्यता बहाल हो सकती है। नहीं तो वह अगले आठ वर्षों तक कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। राहुल की ओर से उनके वकील ने कहा कि पीएम की मुखर आलोचना के लिए उन पर मुकदमा चलाया गया। ट्रायल कठोर और अनुचित था।

लोकसभा चुनाव के दौरान राहुल ने कर्नाटक में दिया था आपत्तिजनक बयान

राहुल गांधी को जिस बयान की वजह से आपराधिक मानहानि का दोषी करार दिया गया, वह उन्होंने 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक में दिया था। तब कांग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल ने नीरव मोदी, ललित मोदी आदि का नाम लेते हुए पूछा था कि सभी चोरों का उपनाम मोदी ही क्यों है? राहुल के बयान पर आपत्ति जताते हुए भाजपा नेता पूर्णेश मोदी ने केस दर्ज कराया था। राहुल के खिलाफ इसी बयान को लेकर पटना एमपी एमलए कोर्ट में भी केस लंबित है।

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