मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने समान नागरिक संहिता के खिलाफ पारित किया प्रस्ताव, इसके कार्यान्वयन को बताया अनावश्यक
लखनऊ, 5 फरवरी। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के खिलाफ हल्ला बोल दिया है और रविवार को यहां हुई अपनी महत्वपूर्ण बैठक में यूसीसी के खिलाफ प्रस्ताव पास किया है। बोर्ड ने साथ ही इसके कार्यान्वयन को अनावश्यक बताया है।
एआईएमपीएलबी ने समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर चर्चा की और कहा कि मौलिक अधिकार सभी नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं और समान नागरिक संहिता लाने से नागरिक संविधान द्वारा उन्हें दिए गए विशेषाधिकारों से वंचित हो जाएंगे। बोर्ड ने एक विज्ञप्ति में कहा, ‘भारत जैसे बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहु-भाषी देश के लिए ऐसा कोड न तो प्रासंगिक है और न ही फायदेमंद है।’
1991 के पूजा स्थल अधिनियम को बनाए रखने और अच्छी तरह लागू करने पर जोर
बोर्ड की बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि 1991 के पूजा स्थल अधिनियम को ‘बनाए रखा और अच्छी तरह से लागू’ किया जाना चाहिए। बैठक में धर्मांतरण के मुद्दे पर धर्म की स्वतंत्रता पर भी जोर दिया गया। बैठक के दौरान आरोप लगाया गया कि सरकारों ने दोषी साबित होने से पहले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के घरों को तोड़ दिया।
असम सरकार से बाल विवाह अधिनियम के तहत की गई गिरफ्तारी रोकने की मांग
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने असम सरकार से बाल विवाह अधिनियम के तहत पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी को रोकने का आग्रह किया। गौरतलब है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को कहा था कि राज्य पुलिस द्वारा शुरू किया गया बाल विवाह के खिलाफ अभियान 2026 में अगले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा।