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गोवा में मोहन भागवत ने कहा – ‘भारत की सब भाषाएं हमारी, यहां के सब प्रकार के लोग मेरे अपने’

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पणजी, 7 जनवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शनिवार को कहा, ‘भारत की सब भाषाएं हमारी भाषाएं हैं। भारत के सब प्रकार के लोग मेरे अपने हैं। जो मेरा अपना है, वो मेरा है, उसपर मैं चलूंगा, श्रद्धापूर्वक चलूंगा, लेकिन मैं इन सब विविधताओं का सम्मान करूंगा आदर करूंगा, उनके विकास में मैं हाथ लगाऊंगा।’

मोहन भागवत ने आरएसएस की ओर से यहां आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनका संगठन ऐसे स्वयंसेवक तैयार करता है, जो कई क्षेत्रों में देश के लिए योगदान दे सकते हैं, लेकिन उनके माध्यम से कोई दबाव समूह नहीं बनाना चाहता।

भागवत ने कहा कि एक व्यक्ति संघ को दूर बैठकर नहीं समझ सकता। उन्होंने लोगों से संगठन में शामिल होने की अपील की और कहा कि संघ में हर किसी को साथ लेकर चलने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि आरएसएस के स्वयंसेवक अपने व्यक्तिगत स्तर पर विभिन्न सामाजिक प्रयासों में शामिल होते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि संघ एक ‘सेवा संगठन’ है।

संघ स्वयंसेवकों में सभी को साथ लेकर चलने की क्षमता

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘स्वयंसेवक जो कुछ भी करते हैं, वह उनकी व्यक्तिगत क्षमता में होता है। संघ ने उन्हें वह सोच दी है, जिसके कारण वे वह काम करते हैं, जिसकी जरूरत होती है। उन्होंने सभी को साथ लेकर चलने की कला में महारत हासिल की है, इसलिए वे समाज का नेतृत्व करते हैं। इस तरह स्वयंसेवकों को ढाला जाता है, उन्हें देश में कोई प्रभावशाली दबाव समूह बनाने के लिए नहीं ढाला जाता है। संघ पूरे देश को एकजुट करना चाहता है।’

संघ का हिस्सा बनकर आप देश के लिए योगदान दे सकते हैं

लोगों से संघ में शामिल होने की अपील करते हुए भागवत ने कहा कि अगर लोग इसे दूर से देखेंगे तो उन्हें संगठन के बारे में गलतफहमियां होंगी। उन्होंने कहा, “संघ को दूर से देखने पर समझ में नहीं आता। संघ में सबको साथ लेकर चलने की क्षमता है, लेकिन किसी को स्वार्थी रवैये के साथ संघ में शामिल नहीं होना चाहिए। संघ से जुड़कर आप कुछ हासिल नहीं कर सकते, लेकिन आप इसका हिस्सा बनकर देश के लिए योगदान दे सकते हैं।”

पर्यावरण के प्रति हम अपना व्यवहार बदलें तो समाज का व्यवहार भी बदलेगा

भागवत ने लोगों से दैनिक व्यवहार में पर्यावरणीय मूल्यों को लागू करने की भी अपील की। उन्होंने कहा, ‘अगर हम पर्यावरण के प्रति अपना व्यवहार बदलेंगे तो समाज का व्यवहार भी बदलेगा।’ आरएसएस प्रमुख ने यह भी कहा कि यह दुनिया के हित में है कि भारत एक मजबूत देश बने। उन्होंने कहा कि पिछले 2,000 वर्षों में विभिन्न (राजनीतिक और सामाजिक) प्रयोग हुए, लेकिन अब दुनिया चाहती है कि भारत रास्ता दिखाए।