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मणिपुर : राज्यपाल अनुसुइया उइके ने राहत केंद्रों का लिया जायजा, ‘इंडिया’ सांसदों से शांति बहाली में योगदान की अपील की

मणिपुर : राज्यपाल अनुसुइया उइके ने राहत केंद्रों का लिया जायजा, ‘इंडिया’ सांसदों से शांति बहाली में योगदान की अपील की

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इम्फाल, 29 जुलाई। मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने चुराचांदपुर में राहत केंद्रों का दौरा किया और शिविरों में रह रहे लोगों से बातचीत की। उन्होंने कहा, ‘लोग पूछ रहे हैं कि राज्य में शांति कब बहाल होगी। मैं लगातार कोशिश कर रही हूं कि शांति बहाल करने के लिए दोनों समुदाय के लोग एक-दूसरे से बात करें। हम इस प्रक्रिया में मदद के लिए उनसे और सभी राजनीतिक दलों से भी बात कर रहे हैं।’

राज्यपाल उइके ने यह भी कहा, ‘सरकार उन लोगों को मुआवजा देगी जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है और उनकी सम्पत्ति का नुकसान हुआ है। मैं शांति और मणिपुर के लोगों के भविष्य के लिए हर संभव प्रयास करूंगी।’

वहीं, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों के 21 सांसदों की राज्य की दो दिवसीय यात्रा पर उन्होंने कहा, ‘मैं उनसे राज्य में शांति बहाल करने में योगदान देने की अपील करती हूं।’

उल्लेखनीय है कि विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस सहित 26 विपक्षी दलों का एक समूह है। पार्टियों ने पीएम मोदी और भाजपा से मुकाबला करने और उन्हें केंद्र में लगातार तीसरी बार जीतने से रोकने के लिए हाथ मिलाया है।

मणिपुर के दौरे पर पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में अधीर रंजन चौधरी और गगन गोगोई के अलावा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सुष्मिता देव, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की महुआ माजी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) की कनिमोई, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के जयंत चौधरी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मनोज कुमार झा, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह एवं अनिल प्रसाद हेगड़े, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के संदोश कुमार और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के ए ए रहीम भी शामिल हैं।

गौरतलब है कि मई के पहले सप्ताह से मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय झड़पें देखी जा रही हैं और भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार हिंसा को रोकने में अपनी विफलता को लेकर निशाने पर है। लगातार जारी हिंसा और एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाले शासन के खिलाफ निष्क्रियता को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की भी आलोचना की जा रही है।

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