Year Ender 2024 : ‘मेक इन इंडिया’ के 10 वर्ष पूरे, देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने पकड़ी रफ्तार
नई दिल्ली, 31 दिसम्बर। केंद्र सरकार द्वारा देश में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए लॉन्च की गई ‘मेक इन इंडिया’ योजना को 2024 में 10 वर्ष पूरे हो गए। इस योजना के तहत अगस्त, 2024 तक 1.46 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इससे करीब 12.50 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ है और चार लाख करोड़ रुपये का निर्यात किया गया है। साथ ही करीब 9.5 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं।
10 वर्ष में 667.41 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित
अप्रैल, 2014 और मार्च, 2024 के बीच भारत ने 667.41 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया, जो पिछले 24 वर्षों में प्राप्त हुए कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का लगभग 67 प्रतिशत है। इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और फूड प्रोसेसिंग जैसे प्रमुख सेक्टरों के निर्यात में भी मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो चार लाख करोड़ रुपये से अधिक था।
2014 में ‘मेक इन इंडिया’ पहल की हुई थी शुरुआत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में बदलने के लिए 2014 में ‘मेक इन इंडिया’ पहल शुरू की थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को जोर देकर रोजगार सृजन करना और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देकर देश की अर्थव्यवस्था का विकास करना था।
घरेलू मोबाइल फोन का उत्पादन 5.8 करोड़ से 33 करोड़ यूनिट
2014-15 में घरेलू मोबाइल फोन का उत्पादन 5.8 करोड़ यूनिट था, जिसे 2023-24 में बढ़ाकर 33 करोड़ यूनिट कर दिया गया जबकि इस दौरान आयात में बड़ी कमी देखने को मिली। निर्यात पांच करोड़ यूनिट तक पहुंच गया और एफडीआई में 254 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो मैन्युफैक्चरिंग और निवेश को बढ़ावा देने में योजना की भूमिका को दर्शाता है।
आईफोन का उत्पादन 10 अरब डॉलर तक पहुंचा
वित्त वर्ष 25 के पहले सात महीनों में ही भारत में आईफोन का उत्पादन 10 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें सात अरब डॉलर का निर्यात हुआ, जो एक नया रिकॉर्ड है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार वर्षों में एप्पल इकोसिस्टम ने 1,75,000 नई प्रत्यक्ष नौकरियां भी पैदा की हैं, जिनमें से 72 प्रतिशत से अधिक नौकरियां महिलाओं को मिली हैं।
वैश्विक फार्मास्यूटिकल्स बाजार में भारत की स्थिति मजबूत
फार्मा क्षेत्र में पीएलआई योजना ने वैश्विक फार्मास्यूटिकल्स बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत किया है, जिससे देश वॉल्यूम के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा खिलाड़ी बन गया है। भारत के कुल उत्पादन का 50 प्रतिशत अब निर्यात हो रहा है, जो वैश्विक फार्मा उद्योग में भारत के बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है। 115 से अधिक कम्पनियों ने आवेदन किया, जिनमें से 85 को प्रोत्साहन के लिए मंजूरी दी गई, जिससे आठ अरब डॉलर (67,690 करोड़ रुपये) का निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है, जो लक्ष्य से कहीं अधिक है।
ताजा आंकड़ों के अनुसार, प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम के तहत भारत ने आयात किए जाने वाले 60 प्रतिशत टेलीकॉम उत्पादों का विकल्प खोज लिया है। ग्लोबल टेक कम्पनियां भारत में अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित कर रही है और भारत को 4जी और 5जी के टेलीकॉम उपकरणों का एक्सपोर्टर बना रही हैं।
डिफेंस प्रोडक्शन रिकॉर्ड उच्च स्तर पर, निर्यात में भी मजबूत वृद्धि
‘मेक इन इंडिया’ के तहत डिफेंस सेक्टर पर भी खास फोकस किया जा रहा है। भारत का डिफेंस प्रोडक्शन 2023-24 में 1.27 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया है, जिसमें 90 से अधिक देशों को निर्यात किया गया है। पिछले एक दशक में भारत के डिफेंस प्रोडक्शन में मजबूत वृद्धि देखी गई है।
भारत के डिफेंस निर्यात में भी मजबूत वृद्धि देखी गई है, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 686 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 21,083 करोड़ रुपये हो गया है, जो एक दशक में 30 गुना से अधिक की वृद्धि को दिखाता है।
टेक्सटाइल सेक्टर में निर्यात में सालाना आधार पर 35% की वृद्धि
टेक्सटाइल सेक्टर में पीएलआई स्कीम में कुल 28,000 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है। इसका टर्नओवर 2,00,000 करोड़ रुपये से अधिक होने की उम्मीद है। इससे 2.5 लाख नौकरियां पैदा होने का अनुमान है।
ट्रेड डेटा के मुताबिक, अक्टूबर में भारत के परिधान निर्यात में सालाना आधार पर 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और कपड़ा निर्यात में 11.56 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वर्तमान में, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा और परिधान उत्पादक है, जो वैश्विक व्यापार का 4.6 प्रतिशत हिस्सा है और चीन एवं जर्मनी के बाद दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक है।
रेलवे नेटवर्क में बढ़ोतरी
भारतीय रेलवे नेटवर्क में 2 दिसम्बर, 2024 तक चेयर कार कोच वाली 136 वंदे भारत ट्रेनें पहले से ही चल रही हैं। ट्रेन सुरक्षा को बढ़ाने के लिए डिजाइन की गई ‘कवच’ प्रणाली को पहले ही दक्षिण मध्य रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे पर 1,548 रूट किलोमीटर (आरकेएम) पर लगाया जा चुका है। वर्तमान में, भारतीय रेलवे के कुल ब्रॉड गेज (बीजी) नेटवर्क का लगभग 97 प्रतिशत विद्युतीकृत हो चुका है।