भारत और ब्रिटिश सेनाओं का सर्वाधिक महत्वकांक्षी युद्धाभ्यास ‘कोंकण शक्ति’ अरब सागर में जारी
नई दिल्ली, 26 अक्टूबर। भारत और ब्रिटेन की सशस्त्र सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास ‘कोंकण शक्ति’ 2021 अरब सागर में कोंकण समुद्री तट के पास चल रहा है। समुद्र में पहली बार तीनों सेनाओं का परस्पर युद्धाभ्यास हो रहा है। इसे दोनों देशों के बीच अब तक का सबसे महत्वकांक्षी युद्धाभ्यास बताया गया है।
संयुक्त युद्धाभ्यास में प्रतिभागी टुकड़ियां दो प्रतिद्वंदी बलों के रूप में शामिल
संयुक्त युद्धाभ्यास में भाग लेने वाली टुकड़ियों को दो प्रतिद्वंदी बलों के रूप में शामिल किया गया है, जिसका उद्देश्य थल सेना के जवानों द्वारा समुद्र पर नियंत्रण पाना है। भारतीय युद्ध पोत आईएनएस चेन्नई के साथ पश्चिमी बेड़े का नेतृत्व फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग कर रहे हैं।
दूसरे दल में ब्रिटेन का लड़ाकू विमान एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ, ब्रिटेन और नीदरलैंड की नौसेना के युद्धपोत और भारतीय युद्धपोत शामिल हैं।
सैन्य अधिकारियों ने बताया कि गत 21 अक्टूबर से ‘कोंकण शक्ति’ नाम से शुरू एक सप्ताह के युद्धाभ्यास में ब्रिटेन के सबसे बड़े युद्धपोत एचएमएच क्वीन एलिजाबेथ के नेतृत्व में ब्रिटिश करिअर स्ट्राइक ग्रुप (सीएसजी) और दोनों देशों की नौसेनाओं के कई अग्रिम मोर्चा संभालने वाले पोत हिस्सा ले रहे हैं।
ब्रिटिश नौसना के विशाल बेड़े करिअर स्ट्राइक ग्रुप में विमानवाहक पोत भी शामिल
करिअर बैटल ग्रुप या करिअर स्ट्राइक ग्रुप ब्रिटिश नौसना का विशाल बेड़ा है, जिसमें विमानवाहक पोत शामिल है। इनके अलावा इनमें बड़ी संख्या में विध्वंसक पोत, फ्रिगेट और अन्य पोत है। अमेरिका और रूस के बाद ब्रिटेन की नौसना सबसे बड़ी है, जो भारत के साथ त्रिसेवा युद्धाभ्यास कर रही है।
अधिकारियों ने बताया कि युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना का मिग-29के लड़ाकू विमान, रॉयल नेवी का एफ-35बी लड़ाकू विमान, भारतीय वायुसेना का सुखोई-30 और जगुआर लड़ाकू विमान प्रमुख हैं।
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने बताया कि त्रिसेवा युद्धाभ्यास का समुद्री चरण अरब सागर में कोंकण तट पर रविवार को बंदरगाह पर हुए अभ्यास के समापन के बाद शुरू हुआ।
संयुक्त युद्धाभ्यास से हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा
ब्रिटिश उच्चायोग ने बताया कि दोनों देशों की सेना के तीनों अंगों के कर्मी इस त्रिसेवा युद्धाभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं। उच्चायोग ने इसे ‘दोनों देशों के बीच अब तक का सबसे महत्वकांक्षी युद्धाभ्यास करार दिया।’ यह युद्धाभ्यास रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में मजबूत होते द्विपक्षीय संबंधों की ओर एक और कदम है और इससे हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा।
ब्रिटिश नौसेना के फर्स्ट सी लॉर्ड एडमिरल और चीफ ऑफ नेवल स्टाफ एडमिरल टोनी रैडकिन ने कहा, ‘सीएसजी की भारत के साथ संबंध दोनों देशों के विस्तृत रणनीतिक साझेदारी को दिखाते हैं। भारतीय और रॉयल नेवी समुद्री क्षेत्र और बहु पोतों वाली नौसेना है, जो हमें विशेष समूह में स्थान देती है।’