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कोविड टेस्ट का त्वरित परिणाम देता है ब्रेथ एनालाइजर, कुछ देशों में इस तकनीक से भी हो रही टेस्टिंग

कोविड टेस्ट का त्वरित परिणाम देता है ब्रेथ एनालाइजर, कुछ देशों में इस तकनीक से भी हो रही टेस्टिंग

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नई दिल्ली, 20 जुलाई। विश्वव्यापी कोविड-19 महामारी का अंत कब होगा, इस बाबत दुनिया का कोई भी वैज्ञानिक फिलहाल कुछ कहने की स्थिति में नहीं है। इसी क्रम में कोरोना जांच के लिए अकसर ही नए व सहज तरीके सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक उपकरण है – ब्रेथ एनालाइजर। इसके जरिए किए जाने वाले टेस्ट से कुछ सेकेंड में पता चल जाता है कि कोई शख्स पॉजिटिव है अथवा नेगेटिव।

अमेरिका में भी मांगी गई इसके उपयोग की मंजूरी

दूसरे शब्दों में कहें तो सांस से ही कोरोना नेगेटिव या पॉजिटिव पता करने का यह बहुत आसान तरीका है। भारत में इस तकनीक का इस्तेमाल नशेड़ियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। लेकिन सिंगापुर और नीदरलैंड जैसे देशों में ब्रेथ एनालाइजर से कोरोना टेस्ट की पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है और वहां इसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है। अब अमेरिका में भी इसके उपयोग की मंजूरी मांगी गई है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया है कि कम्पनी ने अपने कोविड-19 ब्रेथ एनालाइजर के आपात उपयोग के लिए अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन में आवेदन किया है।

डच कम्पनी ब्रेथोनिक्स ने तैयार की ‘स्पाइरोनोज’

दुनियाभर की ढेरों कम्पनियां इस तकनीक को विकसित करने में लगी हैं ताकि जीवन का हिस्सा बन चुके कोरोना से निबटना आसान हो सके। इसी कड़ी में डच कम्पनी ब्रेथोनिक्स ने स्पाइरोनोज नामक डिवाइस तैयार की। यह डिवाइस पानी के बोतल के आकार की है। जिस शख्स का कोरोना टेस्ट करना होता है, उसे इस डिवाइस में अपनी सांस छोड़नी पड़ती है। अगर, उस शख्स के अंदर कोरोना के लक्षण होते हैं तो यह डिवाइस उसे डिटेक्ट कर लेती है और कुछ सेकेंड में ही पता लग जाता है कि वह इंसान कोरोना पॉजिटिव है या नेगेटिव।

सिंगापुर ने मई में दी थी इस डिवाइस को मंजूरी

ब्रेथोनिक्स कम्पनी की इस डिवाइस को सिंगापुर में गत मई माह में ही मंजूरी दे दी गई थी। ब्रेथोनिक्स के अलावा सिंगापुर में सिल्वर फैक्ट्री टेक्नोलॉजी के कोविड-19 ब्रेक एनालाइजर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। नीदरलैंड में भी इस कोरोना टेस्टिंग तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। अब अमेरिका में भी इस तकनीक से जांच की तैयारी की जा रही है।

बहरहाल, यह तकनीक अभी धीरे-धीरे इस्तेमाल में लाई जा रही है। कुछ विशेषज्ञ इसकी प्रमाणिकता को मान रहे हैं तो कुछ इसे उपयोगी मानते हुए एक बेहतर वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में देख रहे हैं। कुछ शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि सांस आधारित यह टेस्ट अभी किए जा रहे कोविड टेस्ट को पूरी तरह से रिप्लेस नहीं कर पाएगा।

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