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ज्ञानवापी मस्जिद केस : वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट में पूरी हुई सुनवाई पूरी, आज 4 बजे सुनाया जाएगा फैसला

ज्ञानवापी मस्जिद केस : वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट में पूरी हुई सुनवाई पूरी, आज 4 बजे सुनाया जाएगा फैसला

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वाराणसी, 30 मई। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट में सोमवार को सुनवाई पूरी हो गई और अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत आज ही अपराह्न चार बजे फैसला भी सुना देगी।

सुनवाई शुरू होने से पहले अदालत में दोनों पक्षों के अलावा मीडिया सहित किसी भी अन्य व्यक्ति के अदालत में प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। अदालत के आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट रूम के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी।

सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकीलों के बीच तीखी बहस

सुनवाई शुरू होने पर पहले हिन्दू पक्ष के वकील शिवम गौर ने अदालत के सामने अपना पक्ष रखा। इसके बाद मुस्लिम पक्ष के वकील अखलाक रईस ने भी अपना पक्ष रखा। अपना-अपना पक्ष रखने के बाद दोनों वकीलों के बीच गर्मागर्म बहस भी हुई।

इससे पहले ज्ञानवापी परिसर में प्राप्त कथित शिवलिंग की नियमित पूजा अर्चना करने के अधिकार के मांग की याचिका को जिला जज ए.के. विश्वेश ने त्वरित (फास्ट ट्रैक) अदालत के पास भेजते हुए सुनवाई की तारीख 30 मई निर्धारित की थी।

दिल्ली निवासी राखी सिंह तथा अन्य की याचिका पर वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने गत 26 अप्रैल को ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराए जाने का निर्देश दिया था।

सर्वे का यह काम गत 16 मई को मुकम्मल हुआ था, जिसकी रिपोर्ट 19 मई को अदालत में पेश की गई थी। हिन्दू पक्ष ने सर्वे के अंतिम दिन ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था, जिसे मुस्लिम पक्ष ने नकारते हुए कहा था कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वाराणसी की अदालत में हुई सुनवाई

गौरतलब है कि ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंध समिति अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने परिसर के सर्वेक्षण पर रोक लगाने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने गत 20 मई को ज्ञानवापी मामले को वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत से जिला जज के न्यायालय में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।

शीर्ष अदालत का कहना था कि चूंकि यह मामला अत्यंत संवेदनशील है, इसीलिए कोई तजुर्बेकार न्यायिक अधिकारी इस मामले को सुने। न्यायालय ने निर्देश दिए थे कि जिला जज आठ हफ्ते में अपनी सुनवाई पूरी करें।

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